इस नदी का रूका प्रवाह, बनी विशालकाय झील; इस सर्वे ने खोली प्रशासन की कुम्भकरणी नींद
बागेश्वर की इस नदी का रूका प्रवाह, बनी विशालकाय झील; इस सर्वे ने खोली प्रशासन की कुम्भकरणी नींद
इस नदी का प्रवाह फिर मलबे ने रोका, बनी विशालकाय झील; कभी भी मच सकती है बड़ी तबाही
बागेश्वर, ब्यूरो। उत्तराखंड के चमोली जिले में मिलने वाली बागेश्वर जनपद की शंभू नदी किसी भी समय बड़ी तबाही ला सकती है। बागेश्वर जिले के अंतिम गाँव कुंवारी से करीब 2 किमी. आगे भूस्खलन के मलबे से शंभू नदी पट गई है। झील का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है। विगत कई वर्षों से झील का विस्तार होने के बावजूद ग्रामीण, जनप्रतिनिधि, प्रशासन व शासन का इस तरफ ध्यान नहीं गया। यूसर्क की टीम अगर नदियों को जोड़ने की योजना के तहत सर्वे नहीं करती तो मामला प्रकाश में ही नहीं आता। जिस तेज गति से झील का विस्तार लगातार बढ़ता जा रहा है वह आने वाले समय में बड़ी तबाही की ओर इशारा कर रहा है। शंभू नदी का प्रवाह रूकने के बाद 500 मीटर से भी लम्बी और 50 मीटर चैड़ी झील बन चुकी है। बरसात के मौसम में इससे बड़ी तबाही मच सकती है।
दरअसल, उत्तराखंड के सुदूर बागेश्वर जिले के कपकोट के आपदाग्रस्त कुंवारी गांव की पहाड़ी से समय-समय पर भूस्खलन हो रहा है। गाँव की तलहटी पर बहने वाली शंभू नदी में वर्ष 2013 झील बन गई थी!। तब बरसात में नदी आने से मलबा बह गया था। इसके बाद फिर 2018 से इस नदी में मलबा जमा होने से झील का आकार लगातार बढ़ता जा रहा है। यूसर्क की टीम के सर्वे के बाद प्रशासन अपनी कुम्भकर्ण नींद से जागा और उसने ड्रोन की मदद से तस्वीरें ली हैं। अब जिला प्रशासन उचित कार्रवाई करने की बात कर रहा है।
इस संबंध में जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शिखा सुयाल और एडीएम चंद्र सिंह इमलाल ने इस संबंध में उचित कार्रवाई की बात कही है।
बता दें कि वर्ष 2013 से भूस्खलन के कारण शंभू नदी में झील बनते आ रही है। जिम्मेदार महकमों की घोर उदासीनता के चलते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। इस कारण उन्हें जमीनी हकीकत का कुछ पता ही नहीं रहा। यूसर्क की टीम अगर नदियों को जोड़ने की योजना के तहत सर्वे नहीं करती तो मामला प्रकाश में ही नहीं आता तो इस झील का शायद किसी को पता नहीं चलता। इस झील से बड़ी तबाही कभी भी इस इलाके में हो सकती है।