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वेतनमान डाउनग्रेड करने पर कार्मिकों में आक्रोश, अफसरों के साथ हुई बैठक बेनतीजा; CM से मिलेंगे

देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड वित्त विभाग की ओर से वेतन विसंगति समिति की संस्तुति पर मंत्रिमण्डल से कराये गये सचिवालय सहित विभिन्न विभागों के डाउनग्रेड वेतनमान के विरूद्ध सचिवालय संघ के बढ़ते आक्रोश व व्यापक असंतोश को देखते हुये शासन के आला अधिकारी हरकत में दिखे। सचिवालय संघ द्वारा आज प्रस्तावित सचिवालय परिसर की रैली की गम्भीरता को देखते हुये मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा अपर मुख्य सचिव, वित्त को दिये गये निर्देशों के क्रम में अपर मुख्य सचिव, वित्त (श्री आनन्द वर्धन) की अध्यक्षता में सचिव मुख्यमंत्री व गोपन (श्री शेलेष बगोली), सचिव वित्त (श्रीमती सौजन्या), सचिव सचिवालय प्रशासन (श्री विनोद कुमार सुमन) व अपर सचिव वित्त (श्री गंगा प्रसाद) की उपस्थिति में सचिवालय संघ के पदाधिकारियों के साथ विस्तृत बैठक की गयी, बैठक में संघ की ओर से अध्यक्ष श्री दीपक जोशी की ओर से सचिवालय सेवा के कार्मिकों का आक्रोश व्यक्त करते हुये महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किये गये तथा आरोप लगाया गया है कि सचिवालय सेवा संवर्ग के वेतनमानों की समानता केद्र सरकार से की जा रही है जबकि केंद्र सरकार से वेतनमान की कोई समानता नहीं है। पुनर्गठन अधिनियम की धारा 74 एवं 86 में प्राप्त लाभों के संरक्षण के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश सचिवालय में उच्चीकृत किये गये समीक्षा अधिकारी एवं अनुभाग अधिकारी तथा अन्य समकक्षीय पदों के वेतनमान के अनुरूप राज्य में मुख्य सचिव (पदेन) की अध्यक्षता में समय-समय पर सम्पन्न बैठक की संस्तुति पर वर्तमान धारित वेतनमान अनुमन्य किये गये है जिन्हें बिना औचित्य व कारण इंगित किये मात्र केन्द्रीय सचिवालय की समकक्षता दिखाकर डाउनग्रेड किये जाने का निर्णय आला अधिकारियों द्वारा सरकार को गुमराह कर लिये जाने का तथ्य संघ के अध्यक्ष एवं उपस्थित अधिकारियों द्वारा प्रकट किया गया।

बैठक में आला अधिकारियों के समक्ष मात्र सचिवालय सेवा को टारगेट करते हुये वेतनमान डाउनग्रेड किये जाने का त्रुटिपूर्ण निर्णय कराये जाने हेतु वित्त विभाग को दोषी मानते हुये सरकार की किरकीरी कराने व सरकार की छवि को अनावश्यक धूमिल किये जाने की बात कही गयी। जहां एक ओर आला अधिकारियों द्वारा सचिवालय सहित छोटे-छोटे विभागों व कर्मचारियों के वेतन कम करने पर राज्य की आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाला दिया गया है वहीं दूसरी ओर बैठक में संघ द्वारा स्पष्ट रूप से कहा गया है कि राज्य की आर्थिक स्थिति खराब होने की दशा में सभी सेवा संवर्गों पर एक समान मापदंड रखे जाने हेतु सर्वप्रथम अखिल भारतीय सेवा के ढांचे को छोटा करने का निर्णय लेते हुये आला अधिकारी सरकार के समक्ष एक सन्देश देने का कार्य करें तथा अपने बडे़ होने की मिसाल पेश करते हुये राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुये आई0ए0एस0 संवर्ग का ढांचा, जो 120 पदों से बढ़ाकर हाल ही में 125 किया गया है, को सीमित करते हुये 80-90 पदों का किया जाय, सरकारी आवासों पर सरकारी मानदेय पर रखे गये कैम्प सहायकों की व्यवस्था को समाप्त किया जाय, आला अधिकारियों स्वयं की सुख सुविधा में लगी 08-10 सरकारी गाड़ियों का त्याग कर राज्य हित में 01 अधिकारी-01 वाहन के फार्मूले पर शासकीय दायित्वों का निर्वहन करें, पी0सी0एस0 एवं वित्त सेवा का ढांचा एवं बडी हुयी सुविधाओं की पैरिटी भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश से न होने के कारण इसे सीमित करने पर पहले कार्यवाही की जाय, उसी दशा में माना जायेगा कि हम सही मायनों में उत्तराखण्ड राज्य की खराब वित्तीय स्थिति को सुधारने के प्रहरी हैं। अन्यथा की स्थिति में संगठन/सेवा विशेष पर वेतनमान डाउनग्रेड किया जाना किसी भी दशा में स्वीकार नहीं किया जायेगा, इसका कड़ा वक्तव्य बैठक में संघ की ओर से दिया गया है।

बैठक में सचिवालय संघ द्वारा सचिवालय सेवा संवर्ग के वेतनमान, जो पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश की तर्ज एवं समानता पर अनुमन्य होते रहे है तथा जिनकी समकक्षता केन्द्र सरकार से कभी नहीं रही है, को एकाएक व संघ का पक्ष जाने बगैर एकतरफा लिये गये डाउनग्रेड के निर्णय का पुरजोर विरोध करते हुये मंत्रिमण्डल के कर्मचारी विरोधी इस निर्णय को फिलहाल स्थगित रखते हुये पुनः इस पर पुनर्विचार कर समिति गठित करते हुये कार्मिक सेवा संघों का पक्ष सुनते हुये तदनुसार 03 माह की समयावधि में इसका निस्तारण किये जाने की मांग बैठक में अधिकारियों के समक्ष रखी गयी। लगभग 02 घंटे से अधिक चली बैठक में दोनो पक्षों की ओर से किसी अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका तथा यह तय हुआ है कि आला अधिकारियों द्वारा सचिवालय संघ की ओर से प्रस्तुत सभी तथ्यों पर चिन्तन मनन कर लिया जाय तथा सचिवालय संघ भी आज अधिकारियों के सम्मुख वेतनमान डाउनग्रेड के मुद्दे की सम्पूर्ण स्थिति एक-दो दिन के भीतर प्रदेश के मुखिया मा0 मुख्यमंत्री जी के समक्ष रखते हुये इस मामले में मुख्यमंत्री जी को प्रदत्त विशेषाधिकार के अन्तर्गत उनका हस्तक्षेप कराते हुये इस मामले को फिलहाल स्थगित रखकर समिति आदि के माध्यम से पुनः परिक्षण के बाद ही इस संवेदनशील एवं कार्मिकों के हित से जुड़े हुये मुद्दे का सार्थक निस्तारण किया जा सके।

तद्क्रम में सचिवालय संघ द्वारा अपने संवर्गीय संघों के पदाधिकारियों से परामर्श कर विषयगत प्रकरण पर मा0 मुख्यमंत्री जी से पुनः वार्ता हेतु समय लिये जाने के निर्णय के साथ ही मा0 मुख्यमंत्री जी से वार्ता होने तक प्रस्तावित आंदोलन के कदम को फिलहाल प्रतीक्षारत रखा गया है, इसके बाद भी आला अधिकारियों द्वारा सचिवालय सेवा संवर्ग के वेतनमानो को डाउनग्रेड किये जाने के औचित्यहिन निर्णय को लागू कराते हुये किसी भी प्रकार का कोई आदेश निर्गत किया जाता है तो ऐसी दशा में बिना किसी पूर्व सूचना के सचिवालय संघ द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल का मार्ग चुन लिया जायेगा, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी सरकार की किरकीरी करने वाले आला अधिकारी विशेषकर अपर मुख्य सचिव वित्त की रहेगी।

बैठक में सचिवालय संघ के प्रतिनिधि के रूप में अध्यक्ष श्री दीपक जोशी, श्री विमल जोशी, महासचिव, श्री सुनील लखेड़ा, उपाध्यक्ष, श्री करम राम, श्री बची सिंह, श्री चन्दन सिंह बिष्ट, श्री संदीप बिष्ट, श्री प्रदीप पपनै, श्री जीतमणि पैन्यूली, श्री प्रमोद कुमार, श्री कैलाश चन्द्र तिवारी, श्री विपिन चन्द्र जोशी, श्री किशन असवाल, श्री सुनील गुंसॉंई, श्री अनिल प्रकाश उनियाल, श्री अरविन्द कुमार, श्री सन्दीप बिष्ट, श्री चन्दन बिष्ट आदि उपस्थित रहे।

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