उत्तराखंड

पुरानी पेंशन हो बहाल चाहते हैं उत्तराखंड में 80 हजार एनपीएस कर्मचारी

देहरादून। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में आधा जीवन बच्चों को पढ़ाने में गुजारने वाले शिक्षक सेवानिवृत्ति के बाद सम्मानजनक पेंशन के अधिकार से वंचित हैं। हर महीने 80 से 90 हजार वेतन पाने वाले शिक्षकों को सेवानिवृत्ति के बाद नई योजना में कुल वेतन की मात्र 2-4 प्रतिशत पेंशन मिल रही है।

यही वजह है कि नई पेंशन योजना का शिक्षक और कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। राज्य के 80 हजार एनपीएस कर्मचारियों की मांग है कि अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड सरकार भी पुरानी पेंशन बहाल करे। प्रदेश के शिक्षकों के मुताबिक विभाग में 30 से 40 साल की सेवा के बाद शिक्षकों और कर्मचारियों को सम्मानजनक पेंशन नहीं मिल रही, जबकि विधायक और सांसदों के लिए पूरी उम्र पेंशन की व्यवस्था है।

राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल ने कहा कि कई राज्य पुरानी पेंशन बहाल कर चुके हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब की तरह उत्तराखंड सरकार भी शिक्षकों और कर्मचारियों की समस्याओं को देखते हुए पुरानी पेंशन बहाल करे।

संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीपी सिंह के मुताबिक पुरानी पेंशन बहाली मांग के लिए कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं। इस मसले पर उन्होंने कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक पेंशन यात्रा भी निकाली थी। लगातार मांग और आंदोलन के बाद भी कर्मचारी हितों की अनदेखी की जा रही है।

केस नंबर एक

जीआईसी चोपडयू पौड़ी गढ़वाल से लेक्चरर के पद पर सेवानिवृत्त हुए त्रिमूर्ति नेगी का वेतन 89 हजार रुपये था। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें अब 1272 रुपये पेंशन मिल रही है।

केस नंबर दो

जीआईसी सिद्धसौड रुद्रप्रयाग से लेक्चरर के पद पर सेवानिवृत्त हुए राजेश्वर थपलियाल 82 हजार रुपये वेतन पा रहे थे। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें 1300 रुपये पेंशन मिल रही है।

केस नंबर तीन

राजकीय प्राथमिक विद्यालय सेखोवाला, विकासनगर से सेवानिवृत्त हुए देहरादून के सुभाषनगर निवासी सुधीर आर्य करीब 70 हजार रुपये वेतन पा रहे थे। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें 3361 रुपये पेंशन मिल रही है। उनका कहना है कि यह पेंशन उन्हें उन्हीं के काटे गए 40 प्रतिशत वेतन ब्याज मिल रहा है। जिसकी मूल राशि भी उनको नहीं मिलने वाली है।

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