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पहाड़ दरक रहे हैं और सन्नाटे में “सरकार”, CM आदेश देने की बजाय कर रहे ऐसी अपील

पहाड़ दरक रहे हैं और सन्नाटे में “सरकार”, CM आदेश देने की बजाय कर रहे ऐसी अपील। देहरादून ब्यूरो- आम आदमी पार्टी उत्तराखंड के नेता जोत सिंह बिष्ट  की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा है कि वह एक जिम्मेदार राजनैतिक दल के प्रतिनिधि के रूप में आपदा के समय में सरकार के कामकाज पर नकारात्मक टिप्पणी करने के बजाय सरकार को सकारात्मक सुझाव देना हम अपना कर्तव्य है। कल मैंने इस बात को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री जी से अपील की थी कि आपदा के समय सरकार के मंत्री कहीं नहीं दिखाई दे रहे हैं। जिले के प्रभारी मंत्रियों को अपने प्रभार के जिलों में जाकर राहत और बचाव कार्य अपनी देखरेख में कराने चाहिए।

देर से ही सही लेकिन मुख्यमंत्री जी ने मेरे सुझाव पर अमल करते हुए अपने मंत्रियों को प्रभार के जिलों में जाकर कैंप करने की अपील की यह अच्छी बात है लेकिन मुख्यमंत्री सरकार के मुखिया होकर जिलों के प्रभारी मंत्रियों को जिलों में जाकर कैंप करने हेतु निर्देश देने का साहस दिखाने के बजाय अपील और अनुरोध की मुद्रा में क्यों हैं यह समझ से परे है।

एक और महत्वपूर्ण बात यह है की विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खंडूड़ी जी द्वारा मालन नदी के पुल के टूटने पर सरकार के काम काज और कार्यप्रणाली पर जिस तरह से सवाल खड़े किए गए हैं, जिस तरह से उन्होंने लोक निर्माण विभाग मंत्री सतपाल महाराज द्वारा पुल के टूटने की जांच के आदेश को नाकरते हुए सीधे मुख्यमंत्री के पास जाकर विजिलेंस जांच के आदेश करवाए यह सरकार में आपसी तालमेल और आपसी विश्वास नहीं होने का मजबूत संकेत है। जिस सरकार में मंत्रिमंडल के सदस्यों में आपसी विश्वास नहीं हो, मुख्यमंत्री को मंत्रियों से काम करने के लिए निर्देश देने के बजाय अपील करनी पड़े तो इन सब घटनाक्रम से राज्य की नौकरशाही भी अपने काम के प्रति उदासीन होकर काम कर रही है, खामियाजा उत्तराखंड की जनता भुगत रही है।

पहाड़ दरक रहे हैं और सन्नाटे में "सरकार", CM आदेश देने की बजाय कर रहे ऐसी अपील

राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार उत्तराखंड में विगत एक महीने में आपदा से 23 और दुर्घटना में 32 लोगों की मौत हुई है। बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। सैकड़ों सड़के बंद पड़ी हैं। लोगों के मकान, दुकान व्यापारिक प्रतिष्ठान तथा सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि आपदा की भेंट चढ़ गई है, अन्य बहुत सारे नुकसान राज्य की जनता झेल रही है। हरिद्वार में 100 से अधिक गांव जलमग्न हो रखे हैं।

पहाड़ दरक रहे हैं लेकिन सरकार में सन्नाटा पसरा है। सरकार और प्रशासन के बड़े ओहदे पर बैठे लोग सचिवालय से बाहर नहीं निकल रहे हैं। देखते हैं कि मुख्यमंत्री जी की अपील का असर कब तक और कितना कारगर होने वाला है।

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