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5वें दिन भी नहीं निकाल पाए टनल में फंसे 40 मजदूर, सारे दावे फेल; निराशा में बदल रही जिंदा बचने की आस! मशीन मशीन खेल रही BJP सरकार

कई मजदूरों की हालत खराब, मशीन मशीन खेल रही सरकार और पूरी रेस्क्यू ऑपरेशन टीम, दिल्ली से चिन्यालीसौड़ आई मशीन अभी तक नहीं पहुंच पाई सिलक्यारा टनल तक

5वें दिन भी नहीं निकल पाए यहां फंसे 40 मजदूर, सरकार के सारे दावे फेल; निराशा में बदल रही जिंदा बचने की आस!

ब्रह्मखाल/उत्तरकाशी, ब्यूरो। सिलक्यारा बैंड टनल पर चौथे दिन भी अंदर फंसे 40 मजदूरों को बाहर निकालने में जुटे प्रशासन और रेस्क्यू दल के हाथ अभी भी सिफर ही लगा है। आज भी फंसे हुए मजदूरों तक पहुंचने के लिए एक इंच तक टनल में सुराग नहीं हो पाया है। ऐसे में अंदर फंसे मजबूर मजदूरों के हौसले भी हर सेकंड बाद टूटे जा रहे हैं और उनके परिजनों की आशा भी कहीं ना कहीं निराशा में बदलती हुई दिख रही है।

इसके लिए सीधे तौर पर कहीं न कहीं यहां निर्माणाधीन टनल का काम कर रही कंपनी जिम्मेदार है। ऐसा ही पहले भी टनल में कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ था, लेकिन वहां से बड़े-बड़े पाइप हटाकर वैसे ही आगे का काम शुरू कर दिया गया जिससे आज 40 लोग अपनी जिंदगी बचाने के लिए मोहताज हैं और यह खौफनाक मंजर देश दुनिया देख रही है।

कंपनी के लोग और यहां काम कर रही सरकार की मशीनरी के जिम्मेदार अफसर सिर्फ यह आश्वासन दे रहे हैं कि सभी मजदूर सकुशल हैं और उन्हें रसद सामग्री और ऑक्सीजन की सप्लाई दी जा रही है। वहीं दूसरी ओर यह भी साफ नहीं बताया जा रहा है कि कब तक इन मजदूरों को बाहर निकल जाएगा। ऐसे में मजदूरों के परिजनों और स्थानीय लोगों में कंपनी के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है। विरोध कर रहे ग्रामीणों ने कहा है कि जल्द से जल्द सभी मजदूरों को टनल से बाहर निकल जाए।

आज दिन में यहां पहुंचे उत्तरकाशी के जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने भी रोष व्यक्त किया कि चार दिन बीत जाने के बाद भी नतीजा कुछ नहीं है। कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रसाद नैथाणी भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि वह सरकार और प्रशासन के साथ खड़े हैं। हालांकि दिल्ली से एक बड़ी बोरिंग मशीन एयर लिफ्ट के जरिए चिन्यालीसौड़ भेजी गई है। इससे काफी उम्मीद अभी भी कायम है।

दूसरी ओर मौके पर पहुंची भाजपा नेत्री स्वराज विद्वान ने बताया कि इस हादसे के बाद से ही मौके पर सरकार मजदूरों को बाहर निकालने के लिए तमाम प्रयास कर रही है। अलग-अलग मशीनों द्वारा कोशिश की जा रही है कि किसी तरह अंदर फंसे मजदूर जिंदा सुरक्षित बाहर निकल जा सकें।

इसके अलावा मौके पर टनल में ड्रिल का काम कर रहे इंजीनियर के अनुसार उन्होंने पहले दिन ही कोशिश की थी कि किसी तरह टनल में ड्रिल कर होल किया जाए और मजदूरों को अंदर से सुरक्षित बाहर निकाला जाए, लेकिन करीब 5 मीटर हिस्सा ऊपर से फिर गिर गया और वहां पर टनल में चिमनी नुमा आकर का रॉक आगे खड़ा हो गया। उनका कहना है कि यह रॉक तेलकम पाउडर की तरह है जिसमें उनकी मशीनों के पाइप प्रॉपर तरीके से काम नहीं कर पा रहे हैं। इंजीनियर आदेश जैन के अनुसार मुझे कल रात 3:00 बजे यह काम रोकने के लिए कहा गया और अब नई मशीन से ही कुछ उम्मीद की जा सकती है।

दूसरी ओर यहां बाहर काम कर रहे मजदूरों में इस लेटलतीफी को लेकर आक्रोश जारी है। वह अपने साथी मजदूरों के इतने दिनों बाद भी बाहर न निकलने पर अब यहां से अपना बोरिया बिस्तर पैक कर घर वापस जाने होने वाले थे, लेकिन किसी तरह उन्हें रोक लिया गया। अब देखना होगा कि स्थानीय लोग और मजदूर मौके पर जल्द से जल्द अगर फंसे लोगों को बाहर नहीं निकलते हैं तो मौके पर कितना हंगामा और धरना प्रदर्शन करेंगे।

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