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त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के नतीजों ने सत्तारूढ़ BJP को मुश्किल में डाला, ये प्रत्याशी हारे

देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड में संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के नतीजों ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को मुश्किल में डाल दिया है। जहां पार्टी नेतृत्व इसे जीत का जश्न बता रहा है, वहीं जमीनी स्तर पर कई बड़े नेताओं और उनके परिजनों की हार ने बीजेपी की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस ने इन नतीजों को जनता का बदलाव की ओर झुकाव बताते हुए एक विस्तृत सूची जारी की है, जिसमें उन बीजेपी नेताओं का जिक्र है जिनके रिश्तेदार चुनावी मैदान में पराजित हुए हैं।

कांग्रेस का दावा है कि ये नतीजे 2027 के विधानसभा चुनावों की दिशा तय करने वाले साबित होंगे।

बीजेपी के लिए चिंता की वजह बने ये चुनावी झटके

  • बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का गृह जिला चमोली पार्टी के हाथ से निकल गया।
  • उत्तरकाशी में पूर्व विधायक मालचंद की पुत्री और पूर्व जिला अध्यक्ष सत्येंद्र राणा हार गए।
  • टिहरी में पूर्व प्रमुख नीलम बिष्ट और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कंचन गुनसोला की बहू को शिकस्त मिली।
  • विधायक शक्ति लाल शाह का दामाद, पौड़ी से विधायक दिलीप रावत की पत्नी, और नैनीताल से विधायक सरिता आर्या के पुत्र भी चुनाव नहीं जीत पाए।
  • चंपावत में पूर्व विधायक पूरन सिंह फर्त्याल की बेटी, पूर्व प्रमुख लक्ष्मण सिंह का बेटा, भतीजा और दो बहुएं भी चुनाव हार गईं।
  • सल्ट से विधायक महेश जीना भी अपने बेटे की सीट नहीं बचा पाए।

कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा, बीजेपी की आतिशबाजी इस बात का ढोंग है कि पार्टी खुद अपनी हार को छुपाना चाह रही है। जनता अब परिवर्तन चाहती है।

बीजेपी ने दी सफाई

बीजेपी विधायक खजान दास ने कांग्रेस के दावों को खारिज करते हुए कहा, चुनाव में हार-जीत होती रहती है। बीजेपी एक समुद्र है, इस समुद्र से एक लोटा पानी निकाल भी दिया तो पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ता। बताया कि कुछ उम्मीदवारों की हार से बीजेपी को कोई फर्क नहीं पड़ता। जहां कांग्रेस इन परिणामों को अपनी बढ़त मान रही है, वहीं बीजेपी इसे रणनीतिक रूप से नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही है। मगर पंचायत स्तर पर जनता के रुख में जो बदलाव दिखा है, वह निश्चित तौर पर अगले चुनावों के लिए एक संकेत हो सकता है।

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