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बागियों ने चुनावी मैदान में उतर बढ़ाई कांग्रेस की मुसीबत, प्रचार करने तक नहीं मिल रहे लोग!

विधानसभा चुनाव में विपक्ष में खड़ी भाजपा को चुनौती देने की बजाय कांग्रेस पार्टी अपने ही लोगों को नहीं कर पा रही शांत

देहरादून, उत्तराखंड: उत्तरकाशी जनपद की यमुनोत्री विधानसभा समेत उत्तराखंड की कई विधानसभाओं पर कांग्रेस की हालत बागी और निर्दलीय प्रत्याशियों ने पतली कर रखी है। कई विधानसभाओं में पार्टी के पास प्रचार करने तक के लिए लोग नहीं मिल रहे हैं। कांग्रेस पार्टी कई विधानसभा में छिन्न-भिन्न दिख रही है। विधानसभा चुनाव में परिवारवाद और पैराशूट प्रत्याशी थोपना कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव कई जगह चुनौती बनता जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन विधानसभा क्षेत्रों में पहले से कांग्रेस का झंडा डंडा उठाए लोगों ने बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोक दी है। यमुनोत्री विधानसभा की बात की जाए, लाल कुआं की बात की जाए या रामनगर हो या घनसाली। प्रदेशभर की करीब 16 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की मुसीबत बढ़ती जा रही है। यहां तक कि पार्टी को प्रचार के लिए लोग भी नहीं मिल रहे हैं क्योंकि अधिकांश लोग निर्दलीय प्रत्याशियों के समर्थन में पूरी तरह टूट कर एकजुट एकमुट हो रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस इन विधानसभाओं में कैसे जीत का परचम लहराएगी? कई विधानसभाओं में कांग्रेस के तमाम लोग भाजपा के लोगों को तोड़कर लाने की बात कर रहे हैं, लेकिन फिर भी कई क्षेत्रों में बुरा हाल है। यह हाल कांग्रेस का पैराशूट प्रत्याशियों को मैदान में उतारने से हो रहा है। कांग्रेस के पास वर्तमान भाजपा सरकार का विरोध करने के लिए एक भी ऐसा मुद्दा नहीं है। बेरोजगारी, महंगाई राष्ट्रीय मुद्दे हैं और इनके अलावा स्थानीय स्तर पर कोई भी ऐसा मुद्दा नहीं है, जिसे कांग्रेस कह सके कि इसे हमने विधानसभा में उठाया या इस आधार पर जनता हमें समर्थन दे। नेता बिन मुद्दा ही लोगों को क्या कहकर अपने समर्थन में लाने की बात करेंगे? 2016 में जो हुआ था सभी ने कैमरे के सामने देखा और सुना था, क्या वैसी सरकार लाने के लिए लोग फिर कांग्रेस के साथ जुड़ेंगे? पिछले दिनों पार्टी में अलग-अलग गुटों में अंतरकलह देखने को मिलता रहा है। एक बड़े नेता किशोर उपाध्याय तक कांग्रेस को छोड़कर बाय बाय कर चुके हैं। अब देखना होगा कि छिन्न-भिन्न पार्टी कैसे बहुमत के आंकड़े को पार कर पाती है। मुद्दे के नाम पर पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हरिद्वार में हुए कोविड टेस्टिंग घोटाले के अलावा कुछ भी नहीं विपक्ष के रूप में अपनी मुद्दों की क्या बौछार कर पाए? देखा देखी में पीएम मोदी केदारनाथ गए तो हरीश रावत हरिद्वार के मंदिरों में घंटा बजाने पहुंच गए और पूरे 5 साल का कोई भी ऐसा मुद्दा सरकार के खिलाफ खड़ा नहीं कर पाए। विधानसभा में भी विपक्ष के रूप में 11 में से कार्यकाल खत्म होते-होते 9 ही सदस्य देखे गए थे। हालांकि तोड़फोड़ दोनों पार्टियों में देखने को मिली लेकिन परिवारवाद और टिकट वितरण को लेकर गलत निर्णय से निर्दलीयों ने पार्टी की मुसीबत बढ़ा दी है। हालांकि अभी भी लोगों को मनाने और अपना नाम वापस लेने का दौर जारी है। मुख्यमंत्री जहां पहले रामनगर से चुनाव लड़ने को लेकर अड़े रहे, वहीं विरोध में उन्हीं के चेले रंजीत रावत खड़े रहे। अंत में पार्टी ने दोनों को ही रामनगर से आउट कर तीसरे को टिकट बांट दिया। इसके बाद सल्ट और लालकुआं में बगावत के सुर खड़े होने लगे हैं। कांग्रेस की मुसीबत अपने ही बन गए हैं। भाजपा वालों से और अन्य दलों से तो लड़ेंगे ही अपनों से कैसे निपटेंगे यह देखना होगा। लाल कुआं में तो संध्या डालाकोटी और हरीश चंद्र दुर्गापाल ने मन ही मन में अपने ही नेता को पटखनी देने की सोच रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा पहले ही लाल कुआं को लेकर एक बयान देकर बवाल मचा चुके हैं। इसे ही कांग्रेस बड़ा मुद्दा मान रही है। हालांकि हरीश रावत बड़ा चेहरा होने के कारण आसानी से जीत सकते हैं, लेकिन भाजपा प्रत्याशी और निर्दलीय कांग्रेस की यहां मुसीबत बने हुए हैं।

बागेश्वर में अपने सीएम रहते वक्त निजी सचिव को और हरिद्वार ग्रामीण से अपनी बेटी, यशपाल आर्य, संजीव आर्य, अनुकृति सहित कई प्रत्यशियों को टिकट देने पर हरीश रावत समेत पूरी पार्टी पर परिवार वाद को बढ़ावा देने के भी आरोप लग रहे हैं। बागेश्वर से बाल कृष्ण ने निर्दलीय के तौर पर चुनाव मैदान में ताल ठोक दी है। यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां पर निर्दलीय संजय डोभाल ने कांग्रेस पार्टी की हालत पतली कर रखी है। पार्टी को प्रचार करने तक के लिए लोग नहीं मिल रहे हैं। कुछ लोगों को भाजपा से शामिल करवा कर अपनी उपलब्धि दिखाई जा रही है, लेकिन 2017 से पार्टी को क्षेत्र में खड़ा करने वाले संजय डोभाल के साथ तमाम लोग कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो रहे हैं। पार्टी हो सकता है आगामी समय में यहां स्टार प्रचारक लाए, लेकिन स्थानीय स्तर पर लोग संजय को खुले तौर पर समर्थन दे रहे हैं।

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