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भाजपा हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष कौशिक और मुख्यमंत्री धामी को दिल्ली तलब किया

उत्तराखंड के भाजपा नेताओं में आपसी कलह के चलते हाईकमान ने किया हस्तक्षेप

देहरादून, उत्तराखंड: उत्तराखंड में एक बार डबल इंजन की सरकार बनाने का दावा करने के साथ ही अब की बार 60 बार पार का नारा देने वाले भाजपा के नेता आपस में ही झगड़ते हुए दिख रहे हैं। 3 प्रत्याशियों और वर्तमान विधायकों ने प्रदेश अध्यक्ष समेत संगठन कार्यकर्ताओं पर भितरघात करने का आरोप लगाया है। कुल मिलाकर भाजपा के अंदर इस समय घमासान मचा हुआ है। हालत ऐसी हो गई है कि हाईकमान को उत्तराखंड भाजपा में मच रहे घमासान के बाद मुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष को दिल्ली तलब करना पड़ा है।

असल में मतदान प्रक्रिया संपन्न होने के साथ ही भाजपा विधायक संजय गुप्ता द्वारा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक पर उन्हें हराने के लिए हर प्रयास करने का आरोप लगाते हुए उन्हें खुलकर निशाने पर लिया था। अपने ही प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ लगाए गए इन आरोपों के बाद भाजपा के अंदर हड़कंप मचा हुआ है। मीडिया में लगातार उठ रही खबरों के बाद हाईकमान ने अब मामले को गंभीरता से लिया है और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मदन कौशिक को दिल्ली बुलाया है।

केवल मदन कौशिक पर आरोपों को लेकर ही नहीं बल्कि कथित तौर पर उनके नाम का एक एडिटेड ट्वीट उत्तराखंड की राजनीति में चर्चाओं का विषय बना हुआ है। इस ट्वीट में लिखा है कि ”भाजपा उत्तराखंड में हार रही है इसलिए मैं आज पार्टी से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देता हूं. सीएम धामी को मैंने बहुत बहुत समझाने की कोशिश की मगर उनकी लालसा देवभूमि में भाजपा को ले डूबी है।”फिलहाल इस पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं यह असली है या फिर जानबूझकर राजनीतिक रंजिश के तहत प्लांट किया गया है। उत्तराखंड स्टेट स्टेट की जांच कर रही है तो वही खुद प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने इसे फर्जी बताते हुए साजिश बताया है।

निश्चित तौर पर भाजपा के अंदर इस समय सब कुछ सामान्य नहीं है। पार्टी के अंतर्गत पूरे तौर पर सोशल मीडिया पर उजागर हो रही है नेता खुलकर अपने पार्टी के पदाधिकारियों पर आरोप लगा रहे हैं। इन परिस्थितियों में भाजपा के लिए असहज की स्तिथि बन गई है और हाईकमान भी अब यह मानता है कि प्रदेश में भाजपा की छवि के अनुरूप इस प्रकार की हरकतें ठीक नहीं है। फिलहाल दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाए जाने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा के लिए आगे की राह कोई बहुत आसान नहीं रह गई है।

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