भगवान बद्रीनाथ के लेप और अभिषेक के लिए नरेंद्रनगर राज दरबार में नगर की सुहागिन महिलाओं ने पिरोया तिलों का तेल
नई टिहरी, उत्तराखंडः देश दुनिया मे हिंदुओं के सर्वोच्च तीर्थ के रूप में स्थापित धरती पर बैकुंठ धाम कहे जाने वाले बद्रीनाथ धाम के ग्रीष्मकालीन पूजापाठ के दौरान परम्परागत ढंग से बद्रीविशाल के लेप और अखण्ड ज्योति के लिए तिल का तेल की प्रक्रिया सदियों पुरानी है,जो कि आज भी निभाई जाती है।
सदियों पुरानी परम्पराओं के अनुसार भगवान ब्रदीविशाल के लेप और अखण्ड ज्योति जलाने के लिए उपयोग आने वाला तिलों का तेल सदियों से नरेन्द्रनगर स्थित टिहरी राजमहल में महारानी के अगुवाई में बड़ी ही पवित्रता से राजपरिवार और नगर की सुहागिन महिलाओं द्वारा पीला वस्त्र धारण कर मूसल व सिलबट्टे से निकाला जाता है।
आज तिलों का तेल महाराजा की पुत्री श्रीजा शाह अरोड़ा की अगुवाई में नगर की 60 से अधिक सुहागिन महिलाओं द्वारा पीले वस्त्र धारण कर मूसल व सिलबट्टे से परंपरागत तौर तरीकों को अपनाते हुए हाथों से निकाला गया है। राजपुरोहित कृष्ण प्रसाद उनियाल द्वारा महाराजा मनुजेंद्र शाह की पुत्री श्रीजा शाह अरोड़ा के हाथों विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना के साथ तिलों का तेल पिरोने का श्रीगणेश किया गया।
बताते चलें कि प्राचीन काल से ही तिलों का तेल निकालने की तिथि से ही बद्रीनाथ जी के कपाट खुलने की प्रकिया की शुरूआत माना जाता रहा है। तेल पिरोने के बाद तिलों का तेल एक विशेष बर्तन में गरम करने की साथ साथ उसमें विशेष जड़ी बूटी भी डाली जाती है ताकि तेल में लेश मात्र भी पानी ना रहे। पुनः पूजा-अर्चना और भोग लगाने के बाद तिलों के तेल को चांदी के कलश गाडू घड़ा में परिपूरित करते हुए आज यह गाडू घड़ा बद्रीनाथ धाम की धार्मिक पंचायत डिमरी समुदाय को सौंपा गया। जो गाड़ू घड़ा भव्य कलश शोभा यात्रा लेकर बद्रीनाथ धाम के लिए रवाना हो गए हैं। आज यह गाडू घड़ा कलश शोभायात्रा ऋषिकेश चेला चेतराम आश्रम में विश्राम कर, कल प्रातरू बद्रीनाथ धाम के लिए पुनरू रवाना होगी। इस मौके पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल, मुरलीधर डंगवाल, राजपुरोहित कृष्ण प्रसाद उनियाल, राजपाल पुंडीर, राजपाल जड़धारी, आशीष सेमवाल, आशीष उनियाल आदि थे।