देहरादून, उत्तराखंड: उत्तराखंड हो या फिर कोई भी अन्य राज्य केंद्र सरकार की वन नेशन वन राशन कार्ड योजना से देशभर के लोगों को फायदा होगा। अन्य राज्यों को उत्तराखंड की बात करें तो कई लोग अपने मूल निवास से नौकरी, व्यवसाय या फिर अन्य कारणों से अपने गांव-घर से दूर हो रहते हैं, उन्हें इस योजना से बड़ी राहत मिलेगी।
देश भर में दूसरे राज्य का राशन कार्ड धारक न होने के बावजूद अन्य राज्यों में भी सस्ते गल्ले की दुकान से खाद्यान्न लेने का अधिकार मिल जाएगा। आपको बता दें कि उत्तराखंड राज्य के 23.80 लाख राशनकार्ड धारक अन्य राज्यों में इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं। यही नहीं, राज्य के भीतर भी एक जिले में तय सस्ते गल्ले की दुकान (एफपीएस) से सस्ता खाद्यान्न लेने की बाध्यता भी अब नहीं रह गई है। केंद्र की महत्वाकांक्षी वन नेशन वन राशनकार्ड योजना की वजह से यह मुमकिन हो सका है। लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार के रास्ते पर चलकर राज्य सरकार 702 करोड़ सस्ता कर्ज पाने की हकदार भी बनी।
प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान (एनएफएसए) के करीब 13.80 लाख राशनकार्ड धारक हैं। इनमें एनएफएसए के अंर्तगत अंत्योदय के 1.84 लाख राशनकार्ड और शेष प्राथमिक परिवार राशनकार्डधारक प्राथमिक परिवार हैं। इन राशनकार्डों में दर्ज 61.94 व्यक्तियों को सस्ता खाद्यान्न योजना का लाभ मिल रहा है। केंद्र की वन नेशन वन कार्ड योजना के तहत सभी राशनकार्डों में शामिल यूनिट की आधार सीडिंग अनिवार्य है। इनमें से 99 फीसद से ज्यादा राशनकार्डों की आधार सीडिंग हो चुकी है। राशनकार्डों में दर्ज प्रत्येक व्यक्ति यानी प्रत्येक यूनिट की भी आधार सीडिंग अनिवार्य की गई है। जानकारी के अनुसार केंद्र ने राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का दो फीसद अतिरिक्त कर्ज के रूप में देने के लिए जिन चार सुधारों का लक्ष्य राज्यों को दिया था, उनमें वन नेशन वन राशनकार्ड योजना को लागू करना शामिल रहा है। इस योजना के तहत मुख्य रूप से दो सुधारों राज्य के सभी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान (एनएफएसए) के तहत कुल राशनकार्डों की आधार सीडिंग और सभी एफपीएस के आटोमेशन की शर्त जोड़ी गई है। केंद्र सरकार ने 15 जनवरी, 2021 तक इसे अमल में लाने निर्देश दिए थे। इन सुधारों पर अमल करने की वजह से राज्य 0.25 फीसद अतिरिक्त कर्ज लेने का पात्र हो गया।