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रेंजर की तानाशाही…! प्रमुख वन संरक्षक के कारण बताओ नोटिस का भी नहीं दिया जवाब…!

देहरादून: उत्तराखंड के वन विभाग में तैनात एक रेंजर के हौसले इतने बुलंद हैं कि वह अपने विभागीय प्रमुख के कारण बताओ नोटिस का जवाब भी नहीं दे रहे हैं। इस रेंजर का वर्तमान तैनाती स्थल से दूसरी जगह तबादला भी कर दिया गया है उसके बावजूद करीब 16 दिन बाद भी नवीन तैनाती स्थल पर जॉइनिंग नहीं दी है। वही पिछले जुलाई 2021 में इस रेंजर को विभागीय प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी के कारण बताओ नोटिस भी जवाब नहीं दिया है। आपको बता दें कि पिछले माह 28 अगस्त को रेंजर ज्वाला प्रसाद का गोविंद वन्यजीव विहार से गंगोत्री नेशनल पार्क तबादला कर दिया गया था। इससे पहले उन्हें प्रमुख वन संरक्षक की ओर से यह नोटिस भी जारी किया गया है। देखिए कैसे अपने अधिकारियों के आदेशों को पलीता लगा रहे हैं रेंजर साहब। प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी के पत्र के कुछ अंश यहां हुबहू प्रकाशित किया जा रहा है…

“”….इस कार्यालय का पत्रांक ख-1285 / 21-5 दिनांक 18.05.2021 से रंजन कुमार मिश्र,

भा०व०सै०, अपर प्रमुख वन संरक्षक, प्रशासन, वन्यजीव सुरक्षा एवं आसूचना, उत्तराखण्ड, देहरादून को

गोविन्द वन्यजीव विहार एवं राष्ट्रीय पार्क, पुरोला के अन्तर्गत हुए कार्यों का भौतिक सत्यापन एवं वित्तीय

प्रक्रिया के जांच के निर्देश दिये थे। इस क्रम में श्री रंजन कुमार मिश्र, भा०व०सै०, अपर प्रमुख वन संरक्षक,

प्रशासन, वन्यजीव सुरक्षा एवं आसूचना, उत्तराखण्ड, देहरादून द्वारा जांच आख्या अपने कार्यालय पत्रांक

56/21-5 दिनांक 07.07.2021 द्वारा इस कार्यालय को उपलब्ध करायी गयी है। जांच रिपोर्ट में निम्न

तथ्य प्रकाश में आये है :

1. ज्वाला प्रसाद, तत्कालीन वन क्षेत्राधिकारी द्वारा सांवणी पाली गाड पर 8 मी० विस्तार का लॉग ब्रीज

के कार्य का कोई क्षेत्रीय निरीक्षण नहीं किया तथा स्थल विशेष के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।

2. कोटगांव मध्य सांकरी कक्ष संख्या-1 में वन्यजीवों से खेती सुरक्षा दीवाल का निर्माण कार्य जो 02 जॉब

का कुल 1040 मी० दीवार के निर्माण होना था स्थलीय निरीक्षण में 761 मी० पाया गया तथा जॉब 02 का कार्य दिनांक रहित व हस्ताक्षर रहित कोटेशन पर कार्य किया गया जबकि दोनों जॉबों का पूर्ण

भुगतान सम्बन्धित को किया जा चुका है।

अत: कारण बतायें कि उपरोक्त अनियमिततायें व लापरवाही हेतु आपके विरुद्ध क्यों न उत्तरांचल सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 2003 के अन्तर्गत, अनुशासनिक कार्यवाही प्रारम्भ की जाय।”

वहीं, दूसरी ओर रेंजर ज्वाला प्रसाद का कहना है कि जब विभागीय अधिकारी मौके पर आए थे तो उन्हें दूसरी तरफ से भेज दिया गया था

उनकी अनुपस्थिति में यह जांच रिपोर्ट तैयार की गई है। सच क्या है या तो विभाग के अफसर ही बता सकते हैं, लेकिन कहीं ना कहीं कुछ तो गड़बड़ है जो रेंजर साहब इस तैनाती स्थल से जाने को भी तैयार नहीं हैं। दूसरी ओर जिन उपनिदेशक कोमल सिंह पर वह तमाम आरोप लगा रहे हैं उनका वहां से तबादला हो चुका है और वह वहां से रिलीव भी हो चुके हैं और उनकी जगह दूसरे उपनिदेशक देवी प्रसाद बलूनी ने 2.5 माह पहले ज्वाइन भी कर चुके हैं।

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