Breaking Newsअपराधउत्तराखंडराज-काजसमाज

परिवार के पांच सदस्यों की बेरहमी से हत्या करने वाले हरमीत को फाँसी की सजा

दीपावली के दिन 2014 में सामने आया था वीभत्स हत्याकांड

देहरादून, उत्तराखंड: सात साल पहले 2014 में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक वीभत्स हत्याकांड सामने आया था। दोषी गुरमीत सिंह ने अपने ही परिवार के चार सदस्यों जिनमें उसकी गर्भवती बहन भी थी, की बेरहमी से हत्या कर दी थी। मंगलवार को कोर्ट ने अंतिम सुनवाई में दोषी गुरमीत सिंह को फाँसी की सजा सुनाई।

आपको बता दें कि दून के चकराता रोड स्थित आदर्श नगर में अपने ही परिवार के पांच सदस्यों की बेरहमी से हत्या करने वाले हरमीत सिंह को 302 के तहत फांसी, 307 और 316 में दस साल की कैद व एक लाख रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। पंचम अपर जिला जज आशुतोष मिश्र की अदालत ने ये फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि यह रेयर आफ रेयर केस है। उत्तराखंड के इस पहले बड़े मामले में देहरादून कोर्ट ने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। बता दें कि दीपावली के दिन चकराता रोड आदर्श नगर में एक ही परिवार के गर्भवती महिला सहित चार सदस्यों की हत्या करने वाले आरोपित को कोर्ट ने सोमवार को दोषी करार दिया था। 24 अक्टूबर 2014 को आरोपित हरमीत सिंह ने अपने पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, सौतेली गर्भवती बहन हरजीत कौर और हरजीत कौर की बेटी सुखमणि की चाकू से गोद कर हत्या कर दी थी। हमले में हरजीत कौर के बेटे कमल को चाकू लगे थे। केस में कमल चश्मदीद गवाह रहा। दिल दहलाने देने वाली इस घटना को दोषी ने प्रॉपर्टी को लेकर अंजाम दिया था।

आपको बता दें कि यह मामला 24 अक्टूबर 2014 की दीपावली की रात का है। घटना का पता तब चला जब नौकरानी राजी अगले दिन घर काम करने पहुंची। उस समय हरमीत घर पर ही था। आरोपी ने राजी को अंदर नहीं आने दिया और वहां से चले जाने को कहा। इस पर राजी ने जय सिंह के भतीजे और मुकदमे में शिकायतकर्ता अजीत सिंह को फोन कर बताया कि हरमीत घर का काम कराने से मना कर रहा है। अजीत ने जय सिंह को फोन किया, लेकिन फोन कट गया। दोबारा फोन किया तो हरमीत से बात हुई। जानकारी के अनुसार अजीत ने मौके पर पहुंचकर पूछा कि जय सिंह कहां है तो हरमीत ने बताया कि वो कहीं गए हुए हैं। इस पर अजीत ने हरमीत से कहा कि गेट खोलो और राजी को घर का काम करने दो। हरमीत ने दरवाजा खोल दिया। राजी घर के अंदर दाखिल हुई तो हर तरफ खून बिखरा हुआ था। जय सिंह, कुलवंत कौर, हरजीत कौर और सुखमणि खून से लथपथ पड़े थे। राजी चीखते हुए बाहर आ गई और इसकी सूचना अजीत को दी। इस मामले में कैंट कोतवाली में हरमीत के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। सात साल बाद ही लेकिन देहरादून की कोर्ट ने यह ऐतिहासिक फैसला दिया है। साथ ही कहा कि यह रेयर आफ द रेयर केस है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button