22 साल की दहलीज पार करने जा रहा एक युवा राज्य चंद भ्रष्ट नेताओं और अफसरों के लिए किसी सोने की चीड़िया से कम नहीं है। नेता भी भ्रष्टाचार करने के नए-नए तरीके ढूंढ रहे हैं। ऐसे में आमजन जब तक आवाज नहीं उठाएंगे नेता ऐसे ही समाज को अपनी राजनीति के लिए चमकाते रहेंगे और दिखावे के लिए गरीबों का मसीहा होने तक की उपाधि स्वयं को जरूर देंगे। आजकल के युवा, एक ऐसी पीढ़ी जिन्हें हाईटेक से लेकर अपनी जमीनों तक जुड़ कर रहने का मौका मिला हो। वह राजनीति में आकर चुनाव जीतकर और फिर संवैधानिक पद या फिर यूं कहें कि मंत्री विधायक या जिला पंचायत अध्यक्ष, जिपं सदस्य, पार्षद और यहां तक ग्राम प्रधान और वार्ड मेंबर….बनने के बाद भ्रष्टाचार के नए-नए और हाईटेक तरीके अपनाने के साथ किसी भी काम के बिना धरातल पर होने के बावजूद या फिर किसी पूरानी योजना के नाम नई योजना के पैसे पास करवा ले तो आप क्या कहेंगे?
तरीका इतना खतरनाक है कि न काम करवाया, न योजना का सामान आया पूरा का पूरा बजट सीधे नेता जी के खाते में। ऐसी ही तमाम काली कमाई को ये नेता चुनाव को प्रभावित करने में लगाते हैं और गरीबों का मसीहा होने तक का नाटक करते हैं। अरे लानत है ऐसे चोरी के माल को बांटने के बाद खुद को गरीबों का मसीहा कहने वालों को। कुछ ऐसे ही लोग हमारी उत्तरकाशी के सीधे-सादे लोगों को दीपक की तरह चट करने में लगे हैं। भ्रष्टाचार रूपी ये दीमक अहसास तक नहीं होने दे रहे हैं कि योजना आई भी थी या नहीं। विकास, किसका हुआ, कैसे हुआ और कितना हुआ यह भी सोचने वाली बात है। एक ऐसे ही ओवरकांफीडेंस नेता आजकल हिमालय की तलहटियों में कूदी-फांदी कर रहे हैं। पहले निर्दल अब देश में पुराने और डूबते जहाज की संज्ञा वाले दल में शामिल हुए हैं। इन तितर महोदय को लगता है कि इस बार शायद हिमालय किनारे बसे इस युवा राज्य में उनकी सरकार बनने जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो उन्हें किसी न किसी तरह बचा लिया जाएगा। इससे पहले भी भाजपा में तैनात उनके एक खासमखास मंत्री और एक बड़े कांग्रेस के बागी ने उनकी लाज बचाए रखी। लेकिन मामला एक-दो नहीं करीब चार दर्जन करोड़ का बताया जा रहा है। ऐसे में अब इन भ्रष्टाचार रूपी दीमक महोदय की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। अगर मोदी का जादू चल गया और भाजपा ही सरकार में आई तो इस भ्रष्टाचार का शायद जड़ से इलाज हो जाए, लेकिन यदि कांग्रेस का राज आया तो यह दीमक और प्रोजेक्ट बना-बनाकर चट करता रहेगा। इसलिए सोचने का समय है। स्थानीय लोगों और आमजन को ऐसे दीमकों से दूरी बनानी पड़ेगी अन्यथा सोने की चीड़िया हमारा उत्तरकाशी क्षेत्र को कहीं न कहीं ये भ्रष्ट दीमक और चील कौए नोच-नोच कर खा जाएंगे!