*****

*****

Breaking Newsआस-पड़ोसउत्तराखंडराजनीतिसमाज

क्या गुरु चेले में होगा रामनगर का रण, हरदा जीत पाएंगे रण या बुढ़ापे में करवाएंगे फजीहत?

2017 के विधानसभा चुनाव में 2 सीटों से चुनाव लड़ने के बाद दोनों पर बुरी तरह हारे थे हरीश रावत

देहरादून /नैनीताल, उत्तराखंड: उत्तराखंड की राजनीति में कांग्रेस एक ओर सत्ता परिवर्तन की बात कर रही है लेकिन, जिस प्रमुख नेता हरीश रावत को कांग्रेस आगे रखकर चुनाव कैंपेन कर रही है उसके लिए खुद ही चुनाव सीट पर विवादों के काले बादल छाए हैं। गुरु चेले के विवाद में कहीं पार्टी का प्रमुख चेहरा ही विधानसभा न पहुंच पाया तो यह कहना अतिशयोक्ति न होगा।

सोशल मीडिया में अपने मगरमच्छ वाले बयान से ज्यादा चर्चा में आए हरीश रावत के दम पर कांग्रेस सत्ता में वापस आना चाहती है। यह वही हरीश रावत है जो 2017 में जो 2 सीटों से चुनाव हार गए थे। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस ने उम्मीदवार की पहली सूची जारी कर दी है जिसमें हरीश रावत का नाम नहीं है। हरीश रावत अपने लिए सेफ सीट ढूंढ रहे हैं, इनमें एक रामनगर है लेकिन वहां से हरीश रावत के चेले रहे रणजीत रावत मैदान से हटने को तैयार नहीं हैं। हरीश रावत और रंजीत रावत के एक प्रमुख कार्यकर्ता की बातचीत का एक ऑडियो भी सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है। जिसमें रंजीत रावत समर्थक कह रहा है कि हमने 10 साल से इस क्षेत्र में रंजीत रावत के लिए काम किया है। हमारे लिए कांग्रेस का मतलब रंजीत रावत ही हैं। ऐसे में अब देखना होगा कि कांग्रेस अपनी लड़ाई से बाहर निकल कर अपने प्रमुख विपक्षी दलों को कहां-कहां मात देती है और इसके साथ ही कांग्रेस के कई विधानसभा सीटों पर बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी पार्टी का जहाज और रसातल में ले जाने को पूरी तैयारी कर रहे हैं। अब देखना होगा कि एक ओर जहां कांग्रेस का पूरे देश में जहाज डूब रहा है, वहीं पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड में कांग्रेस विधायकों की विधानसभा में 11 वाली डिजिट को पार्टी कितना आगे बढ़ा पाएगी या फिर इसे भी बरकरार रखने में भी नाकाम रहेगी।

रामनगर में अगर हरीश रावत को टिकट मिल भी गया तो उनके चेले रंजीत रावत बगावत कर चुनाव मैदान में अपने गुरु को चुनौती दे सकते हैं। वैसे तो हरीश रावत पहले से कहते आए हैं कि मैं इस बार चुनाव नहीं लड़ूंगा, लेकिन उनकी चुनाव लड़ने की महत्वकांक्षाएं कुलांचे मार रही हैं। पिछली बार की तरह हार का डर उन्हें सता रहा है। ऐसे में वह मुस्लिम बाहुल्य रामनगर सीट से मैदान में उतरना चाहते हैं। अब देखना होगा कि हरीश रावत किस विधानसभा क्षेत्र से चुनावी दंगल में उतरते हैं। चुनाव के बाद हरदा वहां से जीतकर आते हैं या फिर बुढ़ापे में अपनी फिर फजीहत करवाते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button