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दीपक से भ्रष्टाचार के दीमक तक… नए तरीके के भ्रष्टाचार से त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था पर सवाल

देहरादून, उत्तराखंड: छोटे से उत्तराखंड राज्य में भ्रष्टाचार के सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं लेकिन एक सीमांत जनपद का ऐसा प्रकरण सामने आया है जिसमें सरकार ने एक जिला पंचायत अध्यक्ष को बर्खास्त कर एसआईटी जांच बैठा दी है। चुनाव से चंद दिन पहले शुरू हुई इस कार्रवाई के बाद जो भी हो लेकिन यह त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था पर एक अलग तरह का भ्रष्टाचार रूपी दीमक आप कह सकते हैं। जिसने एक ओर तो युवा पीढ़ी को तमाम प्रलोभन और तमाम तरह की सीओडी यानी चॉइस ऑफ ड्रग्स, दारू, मुर्गा, मटन, चंद रुपयों से अपनी ओर खींच रहे है। दूसरी ओर करोड़ों की मलाई और मक्खन खुद चट कर रहे हैं। अपनी कई पीढ़ियों को भ्रष्टाचार रूपी दीमक ने सेट कर लिया है। चुनाव जीते या न जीते। जनता जाए भाड़ में। नेताजी हैं करोड़ों के मालिक और तथाकथित भ्रष्टाचार के पैसों से कमाए गए गरीबों के मसीहा और सैकड़ों बहनों के भाई। हो सकता है आजकल आप से उच्च हिमालय के यमुनोत्री क्षेत्र में वोट मांगते हुए मिले तो दो सवाल जरूर पूछियेगा। वह हमारे कागजों में बनाई गई योजनाएं और बैंकों में सीधे पहुंचाए गए नोट कहां है? पिछले दिनों जब एसआईटी आई थी तब कई गांव में रातों-रात काम करवा कर बोर्ड क्यों चिपकाये थे? और तो और सरकार का आदेश आने के बाद भी यह महाशय जांच को तो फर्जी बताते ही हैं, आदेश को भी फर्जी बता रहे हैं। ऐसे भ्रष्टाचारी अगर विधानसभा की दहलीज तक पहुंचेंगे तो वह वहां भी भ्रष्टाचार का नया-नया तरीका और स्टाइल ढूंढ लेंगे। आम जनता को शायद ही पता चले कि उनके हिस्से का बजट किसने पचाया और कहां गया।

जब टिकट खरीदने के लिए इतने करोड़ दे सकते हो भैया तो चुनाव लड़ने की जरूरत ही क्या है? जनता जनार्दन शायद कुछ समझेगी या न समझे लेकिन यह भ्रष्टाचार रूपी दीमक पहाड़ को ऐसे ही चट करते रहेंगे हर एक आम जन जागरूक न हुआ तो। ऐसा नहीं है कि जनपद में एक ही दीमक है। फिर कभी उनके बारे में भी करेंगे बात और पूरा खुलासा, लेकिन फिलहाल इन साइलेंट किलर दीमक से बच कर रहना भैया!

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