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एफआरआई समेत इन दो प्रमुख संस्थानों के बीच वर्चुअल माध्यम से हुए एमओयू

देहरादून, उत्तराखंड: भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून, केन्द्रीय औषधीय एवं सुगंध पौधा संस्थान, लखनऊ एवं इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी), काठमांडू, नेपाल के के साथ एक एमओयू हस्ताक्षरित किया गया। जानकारी के अनुसार भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (भा.वा.अ.शि.प.), देहरादून ने आज 22 फरवरी, 2022 को वर्चुअल माध्यम से लखनऊ के साथ समझौता ज्ञापन के साथ एलओआई पर हस्ताक्षर किए गए। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का उद्देश्य वानिकी अनुसंधान, शिक्षा और ज्ञान साझा करने के विस्तार, वानिकी और प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित क्षेत्रों में हितधारकों की क्षमता निमार्ण, औषधीय और सुगंधित पौधों की विस्तार गतिविधियों के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना, नीति अनुसंधान, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं, नदी बेसिन का कायाकल्प, हरित कौशल विकास कायर्क्रम, जैव विविधता डेटाबेस, वैज्ञानिकों और शोध विद्वानों का आदान-प्रदान और सहयोगी अनुसंधान परियोजनाओं इत्यादि को आगे बढ़ाना है।
समझौता ज्ञापन पर ए.एस.रावत, महानिदेशक, भा.वा.अ.शि.प. देहरादून और डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, निदेशक, सीएसआईआर- सीआईएमएपी, लखनऊ द्वारा हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर श्री ए.एस.रावत, महानिदेशक, भा.वा.अ.शि.प. ने अपने संबोधन में कहा कि समझौता ज्ञापन वानिकी अनुसंधान और शिक्षा में सहयोग की संभावनाओं का विस्तार करने में मदद करेगा। इस सहयोग के माध्यम से, भा.वा.अ.शि.प. और सीएसआईआर-सीआईएमएपी औषधीय और सुगंधित पौधों के क्षेत्र में अपनी वैज्ञानिक और तकनीकी विशेषज्ञता साझा करके एक दूसरे के पूरक होंगे। यह तकनीकी कमियों की पहचान करने, वन आधारित प्रौद्योगिकियों के विस्तार और हितधारकों को सूचना के प्रसार के लिए संसाधनों के आदान-प्रदान में मदद करेगा।
एलओआई पर भा.वा.अ.शि.प. की ओर से ए.एस.रावत, महानिदेशक, भा.वा.अ.शि.प. देहरादून और आईसीआईएमओडी से डॉ. पेमा ग्यामत्सो, महानिदेशक, आईसीआईएमओडी, काठमांडू, नेपाल द्वारा हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर दोनों संगठनों के प्रमुखों ने शिक्षा, अनुसंधान और विकास में तालमेल प्रदान करने की उम्मीद जताई। अंततः इसका उद्देश्य बेहतर आथिर्क और पारिस्थितिक सुरक्षा, क्षमता निमार्ण और पवर्तीय पारिस्थितिक तंत्र पर ज्ञान साझा करना, जलवायु परिवतर्न भेद्यता, जलवायु परिवतर्न शमन और अनुकूलन और हिंदू कुश हिमालय के वन आश्रित समुदायों की आजीविका को बढ़ावा देना।
भा.वा.अ.शि.प., देहादून, देश भर में स्थित अपने संस्थानों और केंद्रों के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर वानिकी अनुसंधान, विस्तार, शिक्षा का मागर्दशर्न, प्रचार और समन्वय कर रहा है। वतर्मान में भा.वा.अ.शि.प. विशेष रूप से जलवायु परिवतर्न, वन उत्पादकता, जैव विविधता और कौशल विकास के क्षेत्रों में राष्ट्रीय और अंतरार्ष्ट्रीय महत्व के समकालीन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

इस अवसर पर मुख्यालय के सभी उप महानिदेशक एवं सहायक महानिदेशक, निदेशक (अंतरार्ष्ट्रीय सहयोग), सचिव, भा.वा.अ.शि.प. एवं परिषद् के सभी संस्थानों के निदेशक और सीएसआईआर-सीआईएमएपी, लखनऊ व आईसीआईएमओडी, काठमांडू, नेपाल के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

Indian Council of Forestry Research and Education, Dehradun
Signed Memorandum of Understanding and Letter of Intent
with
CSIR-Central Institute of Medicinal and Aromatic Plants (CIMAP), Lucknow
and
International Centre for Integrated Mountain Development (ICIMOD), Kathmandu, Nepal

Indian Council of Forestry Research and Education (ICFRE), Dehradun have signed Memorandum of Understanding (MoU) with CSIR-CIMAP, Lucknow and Letter of Intent (LoI) with ICIMOD, Kathmandu, Nepal on 22nd February, 2022 at ICFRE, Dehradun through virtual mode. The objective to sign MoU and LoI is to promote cooperation in the field of forestry research, education and extension for knowledge sharing, capacity building of stakeholders in the forestry and natural-resources-related sectors, extension activities of medicinal and aromatic plants in respective areas, policy research, ecosystem services, rejuvenation of river basin green skill development programme, bio diversity database, exchange of scientists and research scholar and pursue collaborative research projects etc.
The MoU was signed by Sh. A.S. Rawat, Director General, ICFRE, Dehradun and Dr Prabodh Kumar Trivedi, Director, CSIR-CIMAP, Lucknow. On this occasion, Sh. A.S. Rawat, Director General, ICFRE in his address said that the MoU will help expand the possibilities of collaboration in forestry research and education. Through this collaboration, ICFRE and CSIR-CIMAP will complement each other by sharing their scientific and technical expertise in the field of medicinal and aromatic plants. This will help in identifying technological gaps, extension of forest based technologies, and exchange of resources for dissemination of information to stakeholders.
The LoI was signed by Sh. A.S. Rawat, Director General, ICFRE, Dehradun and Dr Pema Gyamtsho, Director General, ICIMOD, Kathmandu, Nepal. The LoI is expected to provide synergy in education, research and development for both the organizations and will ultimately aim to promote better economic and ecological security, capacity building and knowledge sharing on mountain ecosystems, climate change vulnerability, climate change mitigation and adaptation, and livelihood of forest dependent communities of Hindu Kush Himalaya.
ICFRE, through its Institutes and Centers located across the country, is guiding, promoting and coordinating forestry research, extension, education at the national level. Currently ICFRE is focusing on contemporary issues of national and international importance particularly in the areas of climate change, forest productivity, biodiversity and skill development.
The occasions were graced by all Deputy Director Generals, Directors of ICFRE Institutes, Director (International Cooperation), Assistant Director Generals & Secretary, ICFRE and senior officers from CSIR-CIMAP, Lucknow and ICIMOD, Kathmandu, Nepal.

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