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एफआरआई में ‘भविष्य की स्थिरता के लिए लकड़ी विज्ञान में प्रगति’ पर हुई संगोष्ठी

50 से अधिक विश्वविद्यालयों और 80 कॉलेजों के 265 प्रतिभागियों ने संगोष्ठी में भाग लिया

देहरादून, उत्तराखंड: काष्ठ शारीर शाखा, वन वनस्पति विज्ञान प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान देहरादून द्वारा विश्व काष्ठ दिवस एवं विश्व वानिकी दिवस के उपलक्ष में आज़ादी के अमृत महोत्सव मनाने के लिए एक अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका शीर्षक ‘भविष्य की स्थिरता के लिए लकड़ी विज्ञान में प्रगति’ था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे श्री अरुण सिंह रावत, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसन्धान एवं शिक्षा परिषद ने भारतीय जैव विविधता अनुसन्धान को बढ़ावा देने और प्राकृतिक संसाधन स्थिरता में काष्ठ विज्ञान की भूमिका पर ज़ोर दिया। कार्यक्रम की आयोजन सचिव डॉ संगीता गुप्ता, ने भारत में काष्ठ विज्ञान शिक्षा और शोध के बारे में बताया। इस संगोष्ठी में 5 महाद्वीपों के दस विश्वविख्यात वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं ने अपने कार्यों के बारे में बताया।

कार्यक्रम में प्रशासनिक अधिकारी, वैज्ञानिक, तकनीकी अधिकारी, और आईसीएफआरई और एफआरआई के अन्य कर्मचारी भी संगोष्ठी में शामिल हुए थे और 50 से अधिक विश्वविद्यालयों और 80 कॉलेजों के कुल 265 प्रतिभागियों ने संगोष्ठी में भाग लिया था। डॉ० डेविड लॉयड, न्यू ज़ीलैण्ड से जुड़े और, लकड़ी की शारीरिक रचना में आणविक माइक्रोस्कोपी के बारे में अपने शोध अनुभवों के बारे में बताया। डॉ० एंड्रू वॉन्ग, मलेशिया, ने उष्णकटिबंधीय जंगलकी लकड़ियों में प्राकृतिक स्थायित्व की और ध्यान केंद्रित किया। सुश्री सू जिनलिङ्ग, अमेरीका, ने लकड़ी विज्ञान को बढ़ावा देने में अंतर्राष्ट्रीय लकड़ी संस्कृति समाज की भूमिका के बारे में बताया। प्रो० मरियन बामफोर्ड, दक्षिण अफ्रीका, ने लकड़ी में छिपे पिछले जलवायु संकेतों के विकासवादी प्रतिरूप को केंद्रित करते हुए अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। डॉ अनुज कुमार, फिंलैंड, ने जैव सामग्री के रूप में लकड़ी के विविध अनुप्रयोगों के बारे में बताया। डॉ मेच्टिलड मर्त्ज़, फ्रांस, ने जापान में लकड़ी की संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों की स्थिरता में लकड़ी की समकालीन प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। डॉ समीर मेहरा, आयरलैंड, ने गैर-धातु और चिपकने से मुक्त इंजीनियर लकड़ी के उत्पाद और कनेक्शन सिस्टम-सर्कुलर-बायोबेड अर्थव्यवस्था के बारे में श्रोताओं का ज्ञान वर्धन किया। डॉ विक्टोरिया असेंसी-अमोरोस, मिस्र, ने मिस्र में लकड़ी की संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों की स्थिरता में इसकी समकालीन प्रासंगिकता के बारे में बताया। डॉ अरुण गुप्ता, मलेशिया,ने वैश्विक स्तर पर नैनो वुड कंपोजिट में हो रही प्रगति के बारे में बताया। डॉ कृष्ण कुमार पाण्डेय, भारत, ने पारदर्शी वुड कंपोजिट के बारे में बताया। डॉ अनूप चंद्रा , डॉ रंजना नेगी , डॉ प्रवीण वर्मा, डॉ आशुतोष पाठक, डॉ धीरेन्द्र कुमार, उपासना, हिमानी और रौनक आयोजन समिति के सदस्य में उपस्थित रहे और समारोह में धन्यवाद प्रस्ताव श्री धीरज कुमार ने दिया।

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