“पृथ्वी दिवस एक अलार्म जो ग्लोबल वार्मिंग की देता है चेतावनी”
वन अनुसंधान संस्थान देहरादून में मनाया गया पृथ्वी दिवस
देहरादून, उत्तराखंड: वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के वन पारिस्थितिकी एवं जलवायु परिवर्तन प्रभाग तथा एनविस आरपी के संयुक्त तत्वावधान में आज दिनांक 22 अप्रैल 2022 को “आजादी का अमृत महोत्सव” कार्यक्रम के अंतर्गत पृथ्वी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के महानिदेशक श्री अरुण सिंह रावत, भा.व.से. जी मुख्य अतिथि के रूप में उपसथित रहे।कार्यक्रम के प्रारम्भ में डॉ. वी. पी. पँवार ने उपस्थित सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया और पृथ्वी दिवस के अवसर पर आयोजित की जाने वाली गतिविधियों के बारे में अवगत किया।
वन अनुसंधान संस्थान की निदेशक महोदया डॉ रेणु सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि पृथ्वी दिवस हमें हमारे ग्रह को बचाने की दिशा में काम करने की हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है क्योंकि यह पारिस्थितिक मुद्दों की ओर एक संकेतक के रूप में कार्य करता है। पृथ्वी दिवस एक अलार्म है जो हमें लगातार ग्लोबल वार्मिंग से चेतावनी देता रहता है। तापमान वृद्धि ने पर्याप्त जलवायु परिवर्तन और वैश्विक आपदाएँ पैदा की हैं।
प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग और वनों की कटाई जैसे कई मुद्दों के कारण, हमारी पृथ्वी पीड़ित है। पृथ्वी दिवस लोगों को इन समस्याओं को समझने में सक्षम बनाता है और उन्हें हमारी पृथ्वी को और अधिक नुकसान और खतरे से बचाने के लिए प्रेरित करता है। उसके बाद अरुण सिंह रावत, महानिदेशक, आईसीएफ़आरई को पृथ्वी दिवस पर सम्बोधन के लिए आमंत्रित किया गया। उन्होंने अपने भाषण में व्यक्त किया कि पृथ्वी दिवस धरती माता के प्रति अपनेपन की सच्ची भावना पैदा करने वाला अवसर है।
उन्होंने आगे और कहा कि एक इंसान के रूप में हमें पृथ्वी के कल्याण के बारे में सोचने के लिए अपना ज्यादा समय निवेश करने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि पृथ्वी को सतत बनाए रखने के लिए आवश्यक सभी निवेशों में यह सबसे महत्वपूर्ण है। श्री रावत का यह भी मानना है कि पृथ्वी में निवेश करना घाटे का व्यवसाय नहीं होगा उल्टे यह सबसे आवश्यक निवेश बन जाएगा। निवेश न केवल धन के संदर्भ में हो सकता है बल्कि यह हमारे दैनिक जीवन की गतिविधियों के रूप में भी हो सकता है जो हमारी धरती मां की रक्षा कर सकता है। श्री रावत ने आईसीएफआरई और हमारे देश की वैज्ञानिक उन्नतियों में अपना विश्वास दिखाते हुए कहा कि हमारी पृथ्वी को स्वस्थ और विविधता से परिपूर्ण रखने में ये महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। इस वर्ष पृथ्वी दिवस का आधिकारिक विषय “हमारे ग्रह में निवेश करें” है। पांच प्राथमिक कार्यक्रम हैं: द ग्रेट ग्लोबल क्लीनअप, सस्टेनेबल फैशन, क्लाइमेट एंड एनवायर्नमेंटल लिटरेसी, कैनोपी प्रोजेक्ट, फूड एंड एनवायरनमेंट, और ग्लोबल अर्थ चैलेंज। उन्होंने चर्चा की कि मुख्य समस्या कचरा निपटान और पर्यावरण की सफाई है। उन्होंने बताया कि एफआरआई परिसर में भी हम कई सफाई अभियान चलाए जाते रहते हैं और परिसर को साफ रखने की कोशिश की जाती रहती हैं। उन्होंने कपड़ों के लिए प्राकृतिक रेशे के उपयोग पर भी जोर दिया क्योंकि सिंथेटिक कपड़े पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। उन्होंने इस बात की वकालत की कि सभी को जलवायु और पर्यावरण शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए ताकि लोग समझ सकें कि जलवायु पर मानव का क्या प्रभाव है और मनुष्यों पर जलवायु का क्या प्रभाव है। उन्होंने दुनिया भर में अधिक पेड़ लगाने पर भी जोर दिया जो स्वस्थ वातावरण प्रदान कर सके।
उद्घाटन सम्बोधन के उपरांत डॉ. अनुराग सक्सेना, प्रधान वैज्ञानिक (आईसीएआर-एनडीआरआई) ने ” Saving the planet agroecosystem” शीर्षक विषय पर एक व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने व्याख्यान में स्पष्ट किया कि हर कोई एक सुरक्षित एवं सुंदर दुनिया में रहना चाहता है। हमारी दुनिया खतरे में है क्योंकि प्रदूषण एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। विभिन्न प्रकार के प्रदूषक, रसायनिक प्रदूषक, घरेलू और औद्योगिक कचरे आदि सबसे बड़े प्रदूषण के कारक है। उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इसके प्रभाव असामान्य रूप से दीर्घकालिक चरित्र के हैं। उन्होंने हरित क्रांति और इसके प्रभाव के बारे में भी चर्चा की। हरित क्रांति के दुष्प्रभाव के रूप में यह देखा गया कि अधिकांश वन क्षेत्र को कृषि कार्य के लिए उपयोग किया गया और फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए उर्वरकों, कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग किया गया, जिसका मानव स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ने लगा। उन्होंने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि सभी CO2 उत्सर्जन को कम करें। उन्होंने जैविक खेती की भी वकालत की जैसा कि प्राचीन साहित्य में भी उल्लेख किया गया है। अंत में उन्होंने प्राकृतिक खेती और इसके घटक और इसके लाभों के बारे में बताया जैसे खेती की लागत कम करना, कृषि भूमि का कायाकल्प आदि।
इस अवसर पर वन अनुसंधान संस्थान सम विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर छात्रों के बीच “एक पृथ्वी एक ग्रह” विषय पर एक भाषण प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर पियूस चावडा, दूसरे स्थान पर अनुश्रीता दत्ता व तीसरे स्थान पर जोपी बोमजेम रहे। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन डा० अभिषेक वर्मा द्वारा किया गया।
Earth day22nd April 2022-Invest in our planet
Forest Ecology and Climate change Division and ENVIS RP on forestry and forest related livelihoods of Forest Research Institute, Dehradun jointly celebrated Earth Day on 22nd April 2022 as a part of program series on Azadi Ka Amrut Mohotsav. Director General Indian Council of Forestry Research & Education (ICFRE)Sh. Arun Singh Rawat, IFS, graced the occasion as Chief Guest.
Dr. V. P. Panwar welcome the participants and discussed in detail about the events for Earth day. He invited Director FRI Dr. Renu Singh for her address in which director madam stated that Earth day reminds us of our responsibilities to work towards saving our planet as it acts as a pointer towards ecological issues. Earth Day is an alarm which constantly apprised us of Global warming. The temperature rise has led to substantial climatic changes and global disasters.Due to many issues like pollution, global warming and deforestation, our earth is suffering. Earth Day enables people to understand these problems and motivates them to protect our earth from further harm and danger.After that DG ICFRE Sh. Arun Singh Rawat was invited to deliver his Inaugural address on Earth Day and he stated that The official theme for 2022 is Invest In Our Planetand features five primary programs: The Great Global Cleanup, Sustainable Fashion, Climate and Environmental Literacy, Canopy Project, Food and Environment, and the Global Earth Challenge.He discussed that the main problem is garbage disposal and environment cleanup he told that in FRI campus too we do many cleanliness drives and try to keep our campus clean.Secondly he also emphasized on use of natural fibre for clothing as synthetic clothing too again pollutes the environment.he advocated that climate and environment education should be imparted with strong civic education so people can understand that what is human’s influence on climate and climate influence on humans.He also emphasize on planting more tress across the globe that can provide healthy environment.
After the Inaugural address A invited lecture on “Saving the planet agroecosystem” was delivered by Dr.Anurag Saxena, Principal Scientist(ICAR-NDRI).He stated that everybody wants to live in a safe world and discussed various geographical features which makes it beautiful but on the other hand our world is in danger as because pollution remains a massive challenge as pollutants,chemicals, domestic and industrial waste is added on large scale in our earth.Then he discussed about global warming as its impacts are of an unusually long term character. He also discussed about Green revolution and its impact as most area brought under agriculture at the cost of forest area and for increasing crop productivity indiscriminate use of fertilizers, pesticides was done which have detrimental effect on human health.He told the gathering about various approaches to reduce CO2 emission. He also advocated on organic farming as its mentioned in ancient literature too.In the end he told about Natural farming and its component and benefits of it like reduces cost of cultivation,rejuvenation of farm lands etc.
A declamation competition among FRI Deemed to be university post graduate students on the topic “One Earth One planet” was also organized in which students were invited to share there views in this competition Piyush Chawada bagged first prize, second prize winner was Anushreeta Dutta and third position was secured by Jopi Bomjem. .
The program concluded with a vote of thanks.