गांधी ‘न महात्मा हैं न राष्ट्रपिता’, आरटीआई में चौंकाने वाला खुलासा, नहीं मिला प्रमाण!

हरिद्वार, ब्यूरो। देश के साथ ही विदेश और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध और जाने माने शांतिदूत और महान अहिंसावादी क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी मोहन दास करम चंद गांधी (Mahatma Ghandhi) की मौत के कई दशक बाद एक अजीबोगरीब, हैरतअंगेज और चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। इसके अनुसार महात्मा गांधी के राष्ट्रपिता और महात्मा होने के के प्रमाण नहीं हैं। (Gandhi is ‘neither Mahatma nor father of the nation’, shocking revelation in RTI, no proof found!)
दरअसल, हरिद्वार के सामाजिक एवं आरटीआई (RTI) कार्यकर्ता हिमांशु सरीन की ओर से सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना में जवाब देते हुए संस्कृति मंत्रालय ने बताया है कि ‘‘गांधी के राष्ट्रपिता और महात्मा होने का कोई प्रमाण भारत सरकार के पास उपलब्ध नही है।’’ ऐसे में गांधी को राष्ट्रपिता कहा जा सकता है या नहीं यह संदेहात्मक है।
हालांकि सूचना के जवाब में गुजरात उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका के एक निर्णय (19 फरवरी 2016) का हवाला देते हुए यह जरूर बताया गया है कि गांधी जी को रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने एक संदेश में गुरुदेव कहा था व उनकी आत्मकथा लिखते समय वर्ष 1915 में गांधी जी को टैगोर ने महात्मा की उपाधि प्रदान की थी। इसके बाद इस वाद में गुजरात हाईकोर्ट ने गांधी जी को महात्मा कहे जाने की बात को बरकरार रखा, लेकिन गाँधी जी के राष्ट्रपिता होने का कोई प्रामाणिक डेटा उपलब्ध नहीं है। इसके बाद हिमांशु सरीन का कहना है कि कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपुत्र हो सकता है किंतु राष्ट्रपिता नहीं। राष्ट्रपिता जैसा कोई व्यक्ति नहीं होता। क्योंकि गांधी जी के पहले भी भारत देश का अस्तित्व था। गांधी जी को राष्ट्रपिता कहना मात्र एक राजनैतिक विचारधारा है। इसका यथार्थ से कोई सम्बन्ध नहीं है।
Gandhi is ‘neither Mahatma nor father of the nation’, shocking revelation in RTI, no proof found!
बताया कि मांगे गए अन्य बिंदुओं के लिए संबंधित विभाग को संबंधित धाराओं के अंतर्गत पत्र प्रेषित कर सूचना उपलब्ध करवाने की जानकारी नहीं दी गयी है। इसके लिए वह उच्च स्तरीय अपील करेंगे। सरीन के अनुसार ऐसे कई विषय हैं जिन पर अभी खुलासा होना अभी बाकी है। जल्द ही सार्वजनिक हितों के लिए बड़े स्तर पर पत्राचार किया जाएगा।