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झूठ का पर्दाफाश: ड्यूटी से लापता कुक कर रहा डीजीपी की पत्नी को बदनाम? जानिए क्या है सच्चाई

देहरादून, ब्यूरो। ऊधमसिंह नगर के एक कुक ने दो पुलिसकर्मियों समेत कुछ सह कर्मियों पर पीटने का आरोप लगाया है। एसएसपी ऊधम सिंह नगर ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। इसके बाद मामले को सोशल मीडिया में वायरल कर उत्तराखंड के डीजीपी और उनकी पत्नी को बेवजह बदनाम किया जा रहा है।

दरअसल, कुछ माह से किसी न किसी बहाने उत्तराखंड के उच्चाधिकारियों को बिना तथ्य और सही जानकारी के निशाना बनाए जाने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है। ताजा मामला झूठ बोलकर डेढ़ वर्ष से ड्यूटी से नदारद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी फॉलोवर (कुक) का है। प्रतिसार निरिक्षक पर विवाद और मारपीट का आरोप लगाकर इस मामले को सोशल मीडिया में बेवजह सनसनी फैलाने और लोगों का ध्यान बटोरने के लिए डीजीपी अशोक कुमार की पत्नी प्रो. अलकनंदा अशोक का नाम घसीटा जाना।

यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व एक तत्कालीन अपर मुख्य सचिव कई सचिव स्तर के अधिकारियों एवं राज्य में तैनात तीन अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के परिजनों के बहाने राज्य की ब्यूरोक्रेसी को बेवजह घेरा गया। अधिकारियों को घेरे जाने में कई मामले प्रशासनिक कार्यवाहियों के थे। पूर्व की घटनाएं साबित करती है कि मात्र केवल अधिकारियों को बदनाम करने के उद्देश्य उनके खिलाफ प्रोपेगेन्डा तब तक चलाया गया जब तक अधिकारियों की छवि धूमिल नहीं हो गई।

ताजा मामला डीजीपी की पत्नी प्रो. अलकनंदा अशोक से जुड़ा बताया जा रहा है। बिना तथ्यों की जानकारी के उनका नाम जवरन केवल उनकी एवं उनके पति पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से उछाला जा रहा है यह तो प्रथम दृष्टा साबित हो गया। गौरतलब है कि नहीं हो पाया। प्रो. अलकनंदा अशोक जी.बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में डीन के पद पर कार्यरत हैं। विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर के रूप में उनको सभी समतुल्य सुविधाएं अनुमन्य है। इसके अलावा वह राज्य के पुलिस विभाग के सर्वोच्च अधिकारी पुलिस महानिदेशक की पत्नी भी हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार दीपक उप्रेती नाम के एक फॉलोवर की ड्यूटी डेढ़ वर्ष पूर्व प्रोफेसर अलकनंदा अशोक के घर पर मात्र 4 घंटे के लिए लगाई गई थी। किन्तु दीपक उप्रेती उस दिन से कभी वापिस लौटकर पुलिस लाइन नहीं पहुंचा। वह डेढ़ वर्ष से दिल्ली में अपनी पत्नी के साथ रह रहा था। दीपक उप्रेती ने फर्जी तरीके से प्रतिसार निरीक्षक एवं पुलिस लाईन के अभिलेखों में अपनी ड्यूटी प्रो. अलकनंदा अशोक के घर दर्शा रखी थी। प्रो. अलकनंदा अशोक भी इस फर्जीवाड़े से बेखबर थी। दोपक ने प्रतिसार निरीक्षक को बताया कि उसको प्रो. अलकनंदा ने अपने आवास पर हो रोक लिया है और वह उनकी सेवा में है। उच्चाधिकारी का मामला होने के कारण पुलिस लाईन से भी कभी यह जानने का प्रयास नहीं किया गया। इसी वर्ष के अप्रैल माह में दीपक उप्रेती का ट्रांसफर करें या उसी जगह रोके रखने के लिए दीपक उप्रेतो को पुलिस लाईन बुलाया गया और प्रो. अलकनंदा अशोक से दीपक उप्रेती के बारे में पूछा गया कि यदि उन्हें (मैडम) को कोई आपत्ति न हो तो क्या दीपक को अन्यत्र ट्रांसफर कर दिया जाए। प्रो. अलकनंदा अशोक को यह सुनकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि ऐसे ‘फॉलोवर’ के बारे में उनसे पूछा जा रहा है जो कभी उनके यहां तैनात ही नहीं रहा। प्रतिसार निरीक्षक को इस तरह के फर्जीवाड़ा करके ड्यूटी से नदारद रहने के विषय में पता चला तो उन्होंने तुरन्त से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (रुद्रपुर) के संज्ञान में यह बात लाई और दीपक उप्रेती के खिलाफ एक जांच बैठा दी। इसी जांच के चलते उसकी अप्रैल माह की तनख्वाह का निकासी का है।

यह मामला पूरी तरह से प्रशासनिक प्रवृत्ति एवं सेवा में अनियमितता, फर्जी तरीके से गैर-हाजिरी रहने का तथा बिना सूचना के तैनाती स्थल से डेढ़ वर्ष तक अन्यत्र स्थान पर रहने का है। लेकिन 28 मई यानि करीब डेढ़ माह बाद अचानक से इस मामले को इस तरह से पेश किया गया जैसे कि प्रो. अलकनंदा अशोक ने अपने घर पर खाना न बनाने के कारण अपने कुक दीपक उप्रेती के साथ मारपीट कर दी। पूरे घटनाक्रम से साबित होता है कि जानबूझकर प्रो. अलकनंदा को उप्रेती किस तरह से छवि धूमिल करने के लिए पूरा एक षडयंत्र रच रहा है।

एक राजनीतिक दल ने एक वीडियो एवं दीपक उप्रेती की चोट के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल किये हैं। वायरल वीडियो आज का बताया जा रहा है और दीपक उप्रेती के शरीर पर चोट के निशान दिखाई दे रहे हैं। घाव के निशान ताजे हैं जबकि घटना 20 अप्रैल बताई जा रही हैं। यदि फोटो में दिखाए गए चोट के निशान दीपक उप्रेती के हैं तो निश्चित रूप से उसने वरिष्ठ पुलिस को शिकायत के साथ अपनी मेडिकल रिपोर्ट भी 20 अप्रैल को कराई होगी। दीपक के शरीर घुटने पर लगी चोट पता चलता है कि वह चोट किसी एक्सीडेंट के हैं और यह चोट अभी ताजी है जबकि मामला एक महीना से भी अधिक पुराना है। बहरहाल जांच के बिंदु प्रशासनिक है, जांच चल रही है। लेकिन डीजीपी की पत्नी की छवि धूमिल करने की साजिश का तो पर्दाफाश हो ही गया है।

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