पूर्व मंत्री हरक सिंह का बड़ा खेल! फर्जी माँ दिखा हड़पी 107 बीघा जमीन! पत्नी समेत दो महिलाओं के नाम करवाई!
जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने किया गड़बड़झाले का खुलासा, सरकार से की जालसाजों से जमीन मुक्त कर कार्रवाई की मांग
2003 में हुई फर्जी हस्ताक्षरित आवेदन से खेल की शुरुआत, पावर ऑफ अटॉर्नी में सुशीला रानी और दर्शाया गया बेटा भी फर्जी!
विकासनगर/देहरादून, ब्यूरो। वर्ष 2002 में पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने राजस्व मंत्री बनते ही मात्र एक साल के भीतर ही शंकरपुर, सहसपुर की 107 बीघा जमीन को फर्जी सुशीला रानी के नाम से फर्जी हस्ताक्षरित पत्र स्वयं के नाम लिखवाया, जिसमें 7/4/2003 को इनके द्वारा जिलाधिकारी को सुशीला रानी के नाम दाखिल खारिज कराने के निर्देश दिए, जिसके क्रम में माल कागजात में सुशीला रानी का नाम दर्ज हो गया।
इस बड़े गड़बड़झाले का खुलासा करते हुए आज रविवार को जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी बताया कि सुशीला रानी का नाम दर्ज कराने से पहले ही बड़ी चालाकी से हरक सिंह रावत ने अपने करीबी पीए/पीआरओ वीरेंद्र कंडारी (समीक्षा अधिकारी) के नाम 5-12-2002 को फर्जी महिला एवं फर्जी बेटा (जोकि विकासनगर ब्लॉक का रहने वाला है) प्रस्तुत कर नई दिल्ली में पावर ऑफ अटॉर्नी संपादित करा ली। जबकि सुशीला रानी की मृत्यु वर्ष 1974 में हो चुकी है, ऐसे साक्ष्य मिले हैं।
जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के अनुसार हैरान करने वाली बात यह है कि पावर ऑफ अटॉर्नी से मात्र तीन माह पहले सुशीला रानी उर्फ सावित्री देवी वर्मा ने अपने पुत्र भीमसेन वर्मा के नाम वसीयत संपादित कराई थी। इसमें उन्होंने हस्ताक्षर के रूप में सावित्री देवी वर्मा लिखा था, लेकिन पावर ऑफ अटॉर्नी में सुशीला रानी लिखा था। इस प्रकार दोनों दस्तावेजों में विरोधाभास था। रघुनाथ नेगी के अनुसार, बड़ा सवाल यह है कि क्या दो नाम से प्रचलित व्यक्ति अपने हस्ताक्षर अलग-अलग नाम से कर सकता है? पावर ऑफ अटॉर्नी हासिल करते ही हरक सिंह ने अपने खास राजदार वीरेंद्र कंडारी के जरिए अपनी पत्नी दीप्ति रावत के नाम 4.663 हेक्टेयर यानी 60 बीघा भूमि की रजिस्ट्री (बैनामा) करा दी।
जिसमें बड़ी चालाकी से पति हरक सिंह के नाम की जगह पिता का नाम दर्शाया गया तथा पता भी गढ़वाल का दर्शाया गया तथा इसी प्रकार अपनी करीबी सुश्री/श्रीमती लक्ष्मी राणा के नाम 3.546 हेक्टेयर यानी 47 बीघा भूमि का बैनामा करा दिया। जिसमें पता गढ़वाल का दर्शाया गया, जिससे किसी को कोई संदेह पैदा न हो। वहीं, जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी के अनुसार इस फर्जीवाड़े के चलते कई विवाद उत्पन्न हुए और इन विवादों के चलते वर्ष 2009 में देहरादून अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) ने इस भूमि को सरकार के पक्ष में अधिग्रहित करने के लिए एसडीएम विकासनगर को निर्देश दिए थे और इस फर्जीवाड़े के मामले में थाना सहसपुर में वर्ष 2011 में भी मुकदमा कायम किया गया था। अन्य कई घोटाले भी उनके नाम दर्ज हैं। रघुनाथ सिंह नेगी के अनुसार मोर्चा सरकार से मांग करता है कि इस जमीन को सरकार के पक्ष में अधिग्रहित कर जालसाजों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो।