देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखण्ड के फिल्म निर्माता, निर्देशक, और कलाकारों ने उत्तराखण्ड सरकार से माॅग की है कि फिल्म नीति में संशोधन अथवा फिल्म सिटी के लिए स्थान चयन से पूर्व प्रदेश के फिल्मकारों से राय मशविरा करें । बैठक में प्रस्ताव पास हुआ कि फ़िल्मसिटी के लिए देहरादून सर्वाधिक उपयुक्त है, अतः फ़िल्म सिटी देहरादून में बनाई जाए।
फिल्म निर्माताओं ने कहा कि क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों को दो करोड़ तक की सब्सिडी का नियम लागू करने से पूर्व उसका ड्राफ्ट तैयार कर फिल्म विद्या के जानकारों से वार्ता करनी चाहिए । उपरोक्त को लेकर देहरादून के एक होटल में उत्तराखण्ड के प्रमुख फिल्म निर्माता निर्देशकों की बैठक हुई ।
बैठक में वक्ताओं ने कहा है कि क्षेत्रीय भाषाओं को 2 करोड़ तक सब्सिडी देने की बात कर शासन ने फिल्म निर्माताओं में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है । क्योंकि 2 करोड़़ की सब्सिडी पाने के लिए पहले फिल्म निर्माता को लगभग 7 करोड़ के आसपास खर्च करने होंगे । जबकि क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों पर इतना खर्चा कोई नहीं कर सकता । सरकार को आंचलिक भाषा की फिल्मों को दो करोड़ की सब्सिडी की बात करने के बजाय फिल्म नीति में 30 प्रतिशत सब्सिडी के स्थान पर कम से कम 90 प्रतिशत सब्सिडी देने का प्रावधान फिल्मनीति में लागू करना चाहिए। निर्णय लिया गया कि शीघ्र ही फ़िल्म निर्माता मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे । साथ ही प्रदेश में फिल्म सिटी किस स्थान पर हो यह गम्भीर मामला है । पिछले बोर्ड में भी फिल्मसिटी को लेकर प्रस्ताव पास हुआ था उन्हें टटोले जाने की आवश्यकता है । साथ ही सरकार को प्रदेश के फिल्मकारों के साथ सभी मामलों पर पहले एक वृहद बैठक करनी चाहिए ।
बैठक में फिल्म निर्माता निर्देशक आशू चौहान, फिल्म निर्माता निर्देशक अनुज जोशी, फिल्म निर्माता निर्देशक देबू रावत, गणेश वीरान, फिल्म निर्माता निर्देशक प्रदीप भण्डारी, फ़िल्म अभिनेता बलराज नेगी, उफतारा अध्यक्ष गम्भीर सिंह जयाड़ा, चन्द्रवीर गायत्री, विनोद खण्डूड़ी, पदम् गुंसाई, रोशन, अनिल ध्यानी, राजेश मालगुडी, कांता प्रसाद, दुष्यंत ढोंडियाल, संजय कुमोला, जितेंद्र पंवार, राजेन्द्र नेगी , अरविंद नेगी आदि अनेक लोग शामिल रहे।