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लिवाड़ी में भूस्खलन रोकथाम कार्य में बड़ा गोलमाल, ₹5600000 अंदर, ₹2 लाख का भी नहीं किया काम

लिवाड़ी में भूस्खलन रोकथाम कार्य में बड़ा गोलमाल, ₹5600000 अंदर, ₹2 लाख का भी नहीं किया काम

देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड वन विभाग में हर कदम पर घपले घोटाले और गबन के मामले अक्सर सामने आते रहे जंगल विभाग का पहले से ही भ्रष्टाचार के मामलों में पहला नंबर रहा है। एक कहावत भी है जंगल में मोर नाचा किसने देखा। यह कहावत करीब-करीब उत्तराखंड के वन विभाग के अफसरों के साथ ही यहां पंजीकृत ठेकेदारों पर सटीक बैठती है। एक ऐसा ही गोलमाल का मामला सामने आया है, जिसमें बड़ा हेरफेर के आरोप लग रहे हैं।

भ्रष्टाचार का यह मामला सीमांत उत्तरकाशी जनपद के गोविंद वन्य जीव विहार राष्ट्रीय पुरोला के मोरी क्षेत्र का है। गोविंद बन्ना जी पशु बिहार राष्ट्रीय पार्क इलाके के में पड़ने वाले गांव लिवाड़ी के नीचे अगले भाग पर भूस्खलन रोकथाम के लिए वन एवं पर्यावरण विभाग उत्तराखंड शासन ने ₹71.09 71 लाख रुपए स्वीकृत किए थे। इस काम की दो किस्ते भी ठेकेदार ने हजम कर ली है और मौके पर कुछ भी काम नहीं किया है पहले काम निर्धारित साइट से दूसरी जगह ठेकेदार ने कर डाला। इसके बाद भी ठेकेदार की दो किस्तों का भुगतान कैसे कर दिया गया? यह अपने आप में बड़ा सवाल है। स्थानीय लोगों के अनुसार मौके पर काम मुश्किल से ₹200000 का भी काम नहीं किया गया है। ₹71.09 में से 56 लाख की दो किश्तों भुगतान भी हो चुकी है, लेकिन मौके पर काम देख कर हर कोई अंदाजा लगा सकता है कि इस पर इतना खर्च हुआ है।

बता दें कि यह काम गोविंद वन्य जीव विहार राष्ट्रीय पार्क पुरोला उत्तरकाशी के अंतर्गत पड़ने लिवाड़ी गांव के अगले हिस्से में भूस्खलन रोकथाम के लिए उत्तराखंड शासन की ओर से स्वीकृत हुआ था।लिवाड़ी गांव के निचले भाग पर भूमि कक्ष संख्या 15 सी में भूस्खलन रोकथाम कार्य के लिए पैसा जारी हुआ था, लेकिन ठेकेदार ने 15-सी की बजाय 15-बी में यह काम करवा दिया। काम कितना हुआ कितना नहीं यह मौके पर जाकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन वन विभाग के अफसरों और कार्मिकों ने काम होने से पहले पेमेंट कर दिया और काम अभी भी अधूरा है। हालांकि लिवाड़ी गांव निवासी ठेकेदार प्रमोद रावत को काम पूरा न करने को लेकर नोटिस जारी किए हैं, लेकिन यहां अपने आप बड़ा सवाल है कि बिना काम पूरा हुए ही कैसे ठेकेदार का एक के बाद एक दोनों किश्तों का भुगतान कर दिया गया? पहले तो ठेकेदार से गलत जगह निर्माण के लिए वसूली करने के साथ ही विभाग से ही ब्लैक लिस्ट किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। उल्टा वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से सांठगांठ कर ठेकेदार ने 56 लाख का भुगतान करवा लिया।

ठेकेदार प्रमोद रावत
ठेकेदार प्रमोद रावत

इस संबंध में ठेकेदार प्रमोद रावत से बातचीत करने की कोशिश की गई, लेकिन उनका मोबाइल कई दिन से बंद आ रहा है। उनको whatsapp के माध्यम से मैसेज भी ड्रॉप किए गए, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है।

 

उपनिदेशक देवी प्रसाद बलूनी
देवी प्रसाद बलूनी, उपनिदेशक, गोविंद वन्य जीव विहार राष्ट्रीय पार्क पुरोला

दूसरी ओर इस संबंध में गोविंद वन्य जीव विहार राष्ट्रीय पार्क पुरोला के उपनिदेशक देवी प्रसाद बलूनी से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है और इस संबंध में उन्होंने जांच के लिए अधीनस्थ कार्मिकों को पत्र जारी किया है ।जल्द ही मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का उन्होंने आश्वासन दिया है।

 

देखें उत्तराखंड शासन की ओर से स्वीकृत धनराशि के संबंध में जारी पत्र…

प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखण्ड देहरादून।

वन एवं पर्यावरण अनुभाग-2

देहरादून: दिनांक 09 सितम्बर 2019

विषय: वित्तीय वर्ष 2019-20 में गोविन्द वन्यजीव विहार / राष्ट्रीय पार्क पुरोला, उत्तरकाशी के अन्तर्गत ग्राम लिवाड़ी के निचले भाग वन भूमि के कक्ष स० 15सी0 में भूस्खलन रोकथाम कार्य हेतु धनावटन।

महोदय

उपरोक्त विषयक प्रमुख वन संरक्षक नियोजन एवं वित्तीय प्रबन्धन, उत्तराखण्ड के पत्र संख्या- नि0-1445/3-5(भू-क्षरण से.यो.) दिनांक 22.01.2018 एवं पत्र संख्या नि0-2392/ 3-5 (भू-क्षरण रो०यो०) दिनांक 1906-2019 के सन्दर्भ में मुझे यह कहने का निदेश हुआ है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में गोविन्द बन्यजीव विहार / राष्ट्रीय पार्क पुरोला, उत्तरकाशी के अन्तर्गत ग्राम निवाड़ी के निचले भाग वन भूमि के कक्ष संख्या-15सी0 में भूस्खलन रोकथाम हेतु प्राक्कलन ₹71.09 लाख, टी०ए०सी० द्वारा परीक्षणोपरान्त औचित्यपूर्ण लागत 271.09 लाख (रइकहत्तर लाख नौ हजार मात्र) के क्रियान्वयन हेतु प्रथम किस्त के रूप में ₹2.44 लाख (अट्ठाईस लाख चौवालीस हजार मात्र) अवमुक्त कर व्यय हेतु आपके निवर्तन पर रखे जाने की श्री राज्यपाल महोदय निम्न शर्तों एवं प्रतिबंधों के अधीन सहर्ष स्वीकृति प्रदान करते हैं :

1. कार्य हेतु वित्त विभाग के शासनादेश संख्या-245/XXVII(7) 2012 दिनांक 22.11.2012 के अनुसार सक्षम स्तर से वित्तीय / प्रशासनिक और तकनीकी/प्राविधिक स्वीकृति प्राप्त करने के उपरान्त ही आवंटित धनराशि का आहरण एवं व्यय उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति नियमावली 2017 का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए किया जायेगा। बिना प्रशासनिक / वित्तीय / तकनीकी स्वीकृति प्राप्त किये अवमुक्त धनराशि व्यय किये जाने पर वित्तीय अनियमितता मानते हुए सम्बन्धित के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी।
2. कार्य को कराये जाने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लिया जाये कि सम्बन्धित कार्य अन्य विभागीय योजनाओं में पूर्व से स्वीकृत / कराया न हो।
3. कार्य प्रारम्भ किये जाने से पूर्व वित्तीय नियम संग्रह खण्ड-1 (वित्तीय अधिकारों का प्रतिनिधनियम), वित्तीय नियम संग्रह खण्ड (लेखा नियम) भाग-1 एवं खण्ड (वन लेखा नियम), आय-व्ययक सम्बन्धी नियम (बजट मैनुअल) उत्तराखण्ड अधिप्राप्ति (प्रेक्योरमेंट) नियमावली, 2017 सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के शासनादेश तथा अन्य सुसंगत नियम, शासनादेश आदि का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाय

4. कार्य पर मदवार उतना ही व्यय किया जाये जितनी मदवार धनराशि स्वीकृत की गयी है स्वीकृति धनराशि से अधिक व्यय कदापि न किया जाए।
5. कार्य करने से पूर्व समस्त औपचारिकतायें तकनीकी दृष्टि को मध्यनजर रखते हुए एवं विभाग द्वारा प्रचलित दरो / विशिष्टियों को ध्यान में रखते हुए निर्माण कार्य को सम्पादित करना सुनिश्चित करें।

 

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