Breaking Newsआस-पड़ोसउत्तराखंडदेश-विदेशसमाज
Trending

Uttarakhand Vidhansabha:”किस अध्यक्ष के रिश्तेदार, जानने वाले नहीं लगे बैकडोर से, मेरे भी कई हैं”

Uttarakhand Vidhansabha बैकडोर भर्ती को लेकर उठ रहे सवाल, चोर चोर मौसेरे भाई की तर्ज पर पत्रकार, राजनेता, नौकरशाह सभी के करीबी कहा रहे गरीब प्रदेश को नोच नोच कर

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान वित्त मंत्री ने विधानसभा में बैकडोर से हुई नियुक्तियों को लेकर दिया बड़ा बयान

देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड विधानसभा (Uttarakhand Vidhansabha) में बैकडोर एंट्री से हुई भर्तियों पर भी अब रह रह कर सवाल खड़े हो रहे हैं। पक्ष और विपक्ष तो चुप हैं, लेकिन आप और कुछ अखबारों और TV चैनल, वेब पोर्टल और इंटरनेट मीडिया और सोशल मीडिया पर जरूर इसकी CBI जांच की मांग कर रहे हैं। आजकल 1-2 माह से उत्तराखंड में लगातार भर्ती परीक्षाओं में धांधली के मामले सामने आ रहे हैं। उत्तराखंड एसटीएफ ने जब से उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की एक भर्ती परीक्षा Paper Leak की जांच शुरू की तब से कई और भर्ती परीक्षाओं में धांधली और पेपर लीक (Paper Leak) करने वाले नकल माफिया गिरोह का पर्दाफाश हो रहा है।

दरअसल, उत्तराखंड विधानसभा (Uttarakhand Vidhansabha) में वर्ष 2002 से लगातार हर विधानसभा अध्यक्ष के कार्यकाल में कई कर्मचारी और अधिकारी बिना परीक्षा के ही बैक डोर से भर्ती कर दिए गए हैं। हर बार विपक्ष में रहने वाली पार्टी सवाल जरूर उठाती है, लेकिन जब भी पक्ष में आती है तो वह भी अपने अपनों को बैक डोर से विधानसभा का कार्मिक बनाकर पुरानी भर्ती की जांच की वजह एक और भर्ती घोटाले को चुपचाप अंजाम दे जाती है।

Uttarakhand Vidhansabha अब देखना यह होगा कि अभी तक जितने भी विधानसभा अध्यक्ष रहे, उनके कार्यकाल में कौन-कौन अवैध तरीके से बैक डोर से विधानसभा जैसे लोकतंत्र के मंदिर तक बिना परीक्षा दिए ही अपनी सरकारी नौकरी ठोक बजाकर कर रहे हैं। सवाल यह भी है कि आज तक कोई भी राजनेता हो या मीडिया संस्थान इस मुद्दे को प्रखर तरीके से नहीं उठा पाया है। भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियां या फिर पत्रकार या मीडिया संस्थान या फिर नौकरशाह। सभी चोर चोर मौसेरे भाई की तर्ज पर अपने-अपने लोगों को विधानसभा में फिट करते आए हैं। हालांकि वर्तमान सीएम धामी शायद इसका भी संज्ञान लें। देखना होगा कि इस भर्ती घोटाले की जांच भी सरकार करती है या फिर कुछ दिन मीडिया की सुर्खियों में रहने मात्र से इसे भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।

Uttarakhand Vidhansabha

2002 में पहली बार उत्तराखंड (Uttarakhand) में विधानसभा (Vidhansabha) चुनाव हुए और कांग्रेस की निर्वाचित सरकार बनी। इसमें कोई दो राय नहीं कि निर्वाचित सरकार के पहले कार्यकाल में ही उत्तराखंड विधानसभा (Uttarakhand Vidhansabha) में बैक डोर से नियुक्तियों का खेल शुरू कर दिया गया। इसके बाद हर विधानसभा अध्यक्ष ने अपनी सुविधानुसार कुछ परमानेंट तो कुछ टेंपरेरी कर्मचारी उत्तराखंड विधानसभा (Uttarakhand Vidhansabha) में तैनात कर दिए। अभी तक उत्तराखंड में 5 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं और पांच ही विधानसभा अध्यक्ष निर्वाचित होकर अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं।

Uttarakhand Vidhansabha

पूर्व में अध्यक्ष रहे स्वर्गीय प्रकाश पंत, स्व. हरबंश कपूर हों, गोविंद सिंह कुंजवाल हों या ऋषिकेश से विधायक और वर्तमान मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल हों, हर विधानसभा अध्यक्ष ने अपने-अपने कार्यकाल में बैक डोर से कई कर्मचारी भर्ती किए हैं।

कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता और विधायक के साथ ही विधानसभा रहे गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यकाल में पत्रकारों, राजनेताओं और नौकरशाहों ने अपने-अपने सगे संबंधियों के साथ ही कईयों ने तो अपनी बीवियां भी विधानसभा में फिट करवाई हैं। इस दौरान कई कर्मचारी यहां उपनल से तैनात थे। रातों रात इनसे इस्तीफे दिलवाकर नए परमानेंट अप्वाइंटमेंट लैटर जारी कर दिए गए। न कोई एग्जाम हुआ न कोई इंटरव्यू और मोटी-मोटी तनख्वाह पर प्रदेश की गाढ़ी कमाई ये लोग नोच-नोच कर खा रहे हैं।

Uttarakhand Vidhansabha
Uttarakhand Vidhansabha:”किस अध्यक्ष के रिश्तेदार, जानने वाले नहीं लगे बैकडोर से, मेरे भी कई हैं”

वर्तमान विधानसभा चुनाव से पहले विधानसभा अध्यक्ष रहे और वर्तमान वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने भी अपने सगे संबंधियों, ओएसडी के साथ ही कई कर्मचारियों के परिचित और करीबियों को भी एडजस्ट किया है। इस संबंध में उन्होंने आज एक बयान दिया कि राज्य बनने के बाद पहली बार उत्तराखंड विधानसभा (Uttarakhand Vidhansabha) में बाकायदा एग्जाम करवा कर कर्मचारियों का चुनाव किया है, लेकिन सवाल यह है कि इसमें से 35 कर्मचारी ही एग्जाम के माध्यम से सिलेक्ट किए गए। इनकी नियुक्ति पर भी हाईकोर्ट में तलवार लटकी है और एग्जाम के दस्तावेज भी सुरक्षति हैं। जबकि उनके कार्यकाल में इसके अलावा करीब 72 कर्मचारी बैकडोर कत तैनात कर दिए गए! हालांकि उनका कहना है कि यह कर्मचारी परमानेंट नहीं हैं। व्यवस्था के हिसाब से इन्हें घटाया बढ़ाया जाता है।

Uttarakhand Cabinet में 15 अहम प्रस्तावों पर मुहर, इन चयनित 

ये वरिष्ठ मंत्री बनेंगे विधानसभा अध्यक्ष, मंत्रिमंडल में इन दिग्गजों की होगी एंट्री!

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button