Uttrakhand Vidhansabha में बैकडोर से ऐसे लगी सरकारी नौकरी, बेरोजगार हो तो जरूर करें Apply
देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड विधानसभा (Uttrakhand Vidhansabha) में बैक डोर से कैसे परमानेंट और सरकारी नौकरी मिल जाती है, इसका अंदाजा आप इन वायरल पत्रों के माध्यम से लगा सकते हैं और समझ सकते हैं कि किस तरह बेरोजगार चाहे दर-दर भटक कर चप्पलें घिसते रहें, रोजगार नहीं मिलने वाला। ऐसे में कई जरूरतमंद बेरोजगार लोग आत्महत्या के साथ ही कई जघन्य अपराधों को अंजाम देने से भी पीछे नहीं हटते। लेकिन जान पहचान और पैसे वाले लोग उनका हक मार जाते हैं। (Uttrakhand Vidhansabha backdoor Entry)
उत्तराखंड विधानसभा (Uttrakhand Vidhansabha) में इससे पूर्व की सभी पार्टियों की राज्य में रही सरकारों के कार्यकाल में हुई अवैध तरीके की नियुक्तियां कहीं न कहीं बड़ा सवाल खड़ा कर रही हैं। आप उत्तराखंड से हैं और आप बेरोजगार हैं तो आप भी आइए और विधानसभा में अध्यक्ष के नाम एक पत्र लिखकर सीधे मोटी तनख्वाह के साथ ही परमानेंट सरकारी नौकरी आपको मिल जाएगी। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे विधानसभा के तैनात कर्मचारियों के नियुक्ति के प्रार्थना पत्र के बाद उन्हें मिली सरकारी नौकरी कहीं न कहीं इस बड़े सवाल को उठा रही है।
आप भी देखिए किस तरह विधानसभा में मोटी मोटी तनख्वाह पर बिना एग्जाम और कोई एजेंसी से टेस्ट कराए बगैर सैकड़ों कर्मचारी भर दिए गए हैं। देखें किस तरीके से उत्तराखंड में बेरोजगारों के साथ विधानसभा में ही जब छलावा हो रहा हो तो और विभागों में नियुक्तियां करवाने की जिम्मेदारी लेने वाले आयोग हो या एजेंसी उनका क्या कहना?
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामला सामने आने के बाद राज्य में बैक डोर से विधानसभा के साथ ही कई निगमों और राजकीय संस्थानों में तैनात किए गए कर्मचारियों और अधिकारियों पर भी जांच की तलवार लटक रही है। अब देखना होगा कि प्रदेश सरकार बैक डोर से हुई इन नियुक्तियों पर कुछ एक्शन ले पाती है या नहीं?
Uttarakhand Vidhansabha:”किस अध्यक्ष के रिश्तेदार, जानने वाले नहीं लगे बैकडोर से, मेरे भी कई हैं”
यह इसलिए कह रहे हैं क्योंकि उत्तराखंड विधानसभा () के साथ ही तमाम निगमों में चाहे वह गढ़वाल मंडल विकास निगम हो कुमाऊँ मंडल विकास निगम वो या तमाम नगर निगम हों। यहां पर भी बैक डोर से नेता और अधिकारी अपने अपने करीबियों और चहेतों को एडजस्ट करते आए हैं और धीरे-धीरे वह कर्मचारी और अधिकारी परमानेंट कर दिए जाते हैं। जिनके विरोध में शायद ही कोई बेरोजगार और सामाजिक कार्यकर्ता, संस्था, राजनेता या फिर पत्रकार आवाज उठाता हो।
आप भी ऐसा पत्र बनाकर विधानसभा में परमानेंट नौकरी पा सकते हैं। देख लें यह फॉर्मेट: