भागवत कथा समाज में प्रेम और सद्भावना लेकर आती है : डॉ दुर्गेशाचार्य
भाग्योदयेन बहुजन्म समर्जितेन, सत्सड़्गमं चलभते पुरुषो यदावै।
अज्ञानहेतुकृतमोह मदान्धकार, नाशं बिधाय हिनत दोदयते विवेक:॥
भागवत कथा समाज में प्रेम और सद्भावना लेकर आती है : डॉ दुर्गेशाचार्य; उत्तरकाशी, ब्यूरो। राष्ट्रीय संत डॉ दुर्गेशाचार्य महाराज जी ने कहा कि सत्संग के द्वारा सारी अज्ञानता मिट जाती है। मोह का अंधकार नष्ट होकर जीवन में विवेक रूप का प्रकाश प्रकट हो जाता है। “विवेक: उदयते” अज्ञान का अंधकार खत्म होता है और ज्ञान का उदय होता है। प्राणी जब सत्कर्म करता है तो सत्संग सुनने का अवसर मिलता है और सत्संग से ही विवेक मिलता है।
सरनौल गांव के श्रीराम कृष्ण कमलेश्वर सेमवाल, राजेंद्र सेमवाल, पत्रकार चिरंजीव सेमवाल की पूज्य माता जी स्व0 श्रीमती सुन्दरी देवी के वार्षिक श्राद्ध की पुण्य तिथि पर एवं समस्त पित्रों की सद्गति एवं मोक्ष कामना, पारिवारिक सुख शान्ति व विश्व शांति सद्भावना के लिए किया जा रहा है। श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिन हिमालय के प्रख्यात कथाकार राष्ट्रीय संत डॉ दुर्गेशाचार्य महाराज जी ने भागवत कथा आज के संक्रमणकाल में समाज में प्रेम सद्भावना द्वारा समरसता लाती है । अधर्म अन्याय के प्रतीक कौरव रूपी बुराई का अंत कर भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मन्याम सत्म की स्थापना पांडवों को विजय दिलाकर की, प्रभुने कुंती से कहा कुछ मांगों तो कुंती बोली मुझे जीवन पर्यन्त दुःख देना क्यों कि जीवका स्वभाव है सुख में वह प्रभु को भूलता किंतु दु:ख में ही प्रभु की याद आती है। इसी लिये कुंती ने दु:ख मांगा कि मै दु:ख में रहकर ही तेरा दर्शन पा सकती है। प्रभु से कहा में भागवत ही मेरा कलियुग का अवतार है जो इसे दर्शन कर श्रवण करता मैं उसके हृदय में बैठकर उसे परम मोक्ष देता हूं।
कथा में रावल केशवानंद सेमवाल,राजेंद्र शास्त्री, सुशील सेमवाल, जिला शासकीय अधिवक्ता हिंमाशु शेखर जोशी, जगमोहन सिंह राणा , अष्टम सिंह चौहान, पूरन सिंह चौहान, चैन सिंह, मोहन सिंह, शीशपाल सिंह राणा, रणवीर सिंह, श्रीमती रेबना देवी , सौविंदी, कबिता सेमवाल, रिना, ललिता सरोज, ममलेश सेमवाल सहित सैंकड़ों लोगों ने कथा का श्रवण किया।