रेणुका के धार्मिक अनुष्ठान एवं मेले में शराब पीकर यदि कोई आएगा तो होगी कार्रवाई: विजेंद्र
रेणुका माता की पालकी निरंतर पूजा -पाठ के लिए लोगों के घरों में जाती रहेगी
उत्तरकाशी/बडकोट, ब्यूरो। मां रेणुका मन्दिर ट्रस्ट सरनौल को जिला जज न्यायमूर्ति गुरुबख्श सिंह की अदालत से बड़ी जीत मिली है। जिससे पूर्व रेणुका समिति के पदाधिकारियों को करार। झटका लगा है। माननीय न्यायालय जिला सत्र न्यायाधीश उत्तरकाशी ने मां रेणुका सरनौल की डोली पर अवर न्यायालय परगना मजिस्ट्रेट बड़कोट के द्वारा दिनांक 23 नवम्बर 2020 को लगाई रोक को न्यायिक आदेश न मानते हुए शांति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए महज प्रशासनिक आदेश को माना है। जिससे कि मां की डोली गत दो वर्षों से भी अधिक समय से लोगों के घरों में जा रही है। और आगे भी निरंतर लोगों के घरों में पूजा पाठ एवं आशीर्वाद देने के लिए जाती रहेगी।
विगत बुधवार को उपजिलाधिकारी बड़कोट जितेन्द्र कुमार से मां रेणुका मंदिर ट्रस्ट मंडल के अध्यक्ष के नेतृत्व में मुलाकात कर बताया कि मां रेणुका की डोली जिला सत्र न्यायाधीश उत्तरकाशी 07 दिसंबर 2020 के आदेश के बाद निरंतर 5 गांव में लोगों के घरों में पाठ पूजा के लिए जा रही है और किसी प्रकार की शांति व्यवस्था भंग नहीं हुई है। उप जिला अधिकारी ने बताया कि 5 अप्रैल 2023 के जिला सत्र न्यायाधीश उत्तरकाशी के आदेश के क्रम में अब मां रेणुका की पालकी पर किसी प्रकार की पाबंदी नहीं लगाई गई है। अब गांव के लोग शांति प्रिया ढंग से एवं पुरानी परंपरा अनुसार मां रेणुका की पालकी को अपने घरों में पूजा-पाठ के लिए ले जा सकेंगे।
उल्लेखनीय कि पूर्व रेणुका मंदिर समिति के चंद लोगों ने तूगली फरमान जारी किया की मां रेणुका की डोली किसी के घरों में पूजा पाठ के लिए नहीं जाएगी केवल 5 धामों में ही जाएगी। जब समिति के इस तूगली फरमान को लोगों के द्वारा नहीं माना गया तो उन्होंने राजनीतिक हथकंडे अपनाकर तत्कालीन अवर न्यायालय परगना मजिस्ट्रेट, बड़कोट के द्वारा पत्रांक संख्या-1265 / वाचक / शान्ति व्य० पत्रा0 / 2020-21 दिनांक- 23.11.2020 से रेणुका की टोली पर रोक लगाई गई थी। जिसके विरुद्ध पांच गांव सरनौल, गडाल गांव, चपटाडी, बचाण गांव, बसराली गांव के सहयोग से मां रेणुका मन्दिर ट्रस्ट सरनौल के अध्यक्ष विजेंद्र सिंह राणा एवं वरिष्ठ पत्रकार, प्रेस क्लब उत्तरकाशी के अध्यक्ष चिरंजीव सेमवाल ने सत्र न्यायाधीश, उत्तरकाशी में निगरानी दायर की थी। माननीय न्यायालय ने निगरानी को स्वीकार करते हुए तत्काल दिसंबर 2020 में न्यायालय के आदेश पर रोक लगाई थी। जिसके फलस्वरूप विगत 2 वर्षों से अधिक समय से मां रेणुका की पालकी लोगों के घरों में पूजा -पाठ करने एवं लोगों को आशीर्वाद देने जा रही है।
इतना ही नहीं निगरानी में आखिर सरकार को स्वीकार करना पड़ा है कि मां रेणुका की डोली पर जो लोगों के घरों में पूजा पाठ के लिए जो रोक लगाई थी वह “न्यायिक आदेश नहीं था बल्कि प्रशासनिक आदेश था। यानि शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए वर्ष 2020 में महज 6 महीने के लिए एक धारा 107,116 लगाई गई थी ।” न्यायालय सत्र न्यायाधीश, उत्तरकाशी ने कहा कि निश्चत् रुप से एक प्रशासनिक आदेश है, जिस कारण यह निगरानी न्यायालय विद्वान अवर न्यायालय के प्रश्नगत आदेश के विरुद्ध हस्तगत दाण्डिक निगरानी को पोषणीय नहीं पाता है। दाण्डिक निगरानी पोषणीय न होने के आधार पर निरस्त होने योग्य है।
इधर, मां रेणुका मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजेंद्र सिंह राणा, प्रबंधक जगमोहन सिंह राणा ,सचिव रणवीर सिंह राणा, पत्रकार चिरंजीव सेमवाल आदि ग्रामीणों ने खुशी जाहिर करते हुए जिलाधिकारी बड़कोट एवं माननीय जिला न्यायाधीश उत्तरकाशी का आभार प्रकट किया है। वही मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष राणा ने बताया कि आगामी 3 जून से रेणुका देवी का होने वाला मेला भव्य एवं दिव्यता के साथ होगा । उन्होंने कहा है कि इस दौरान पांच गांव के लोगों के साथ बैठक का आयोजन भी किया जाएगा जिसमें सरनौल, बचाण गांव,बसराली के मंदिर के सौंदर्य करण एवं निर्माण पर विचार विमर्श किया जायेगा।
मां रेणुका की जेवरात, झामण बनाने को लेकर बैठक का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मां रेणुका मंदिर ट्रस्ट सरनौल ने निर्णय लिया है कि यदि कोई रेणुका के धार्मिक अनुष्ठानों एवं मेलों में किसी प्रकार की शराब पीकर के कोई आता है उसके खिलाफ कानून कार्रवाई की जाएगी।