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सपना पूरा: 5 साल, 11 प्रयास और बी. टेक करते-करते CDS टाॅपर बना हल्द्वानी का हिमांशु

सपना पूरा: 5 साल, 11 प्रयास और बी. टेक करते-करते CDS टाॅपर बना हल्द्वानी का हिमांशु…Dream Fulfilled: 5 Years, 11 Attempts and B. Himanshu of Haldwani became CDS topper while taking

देहरादून, ब्यूरो। सीडीएस टाॅपर हिमांशु की फौजी अफसर बनने की जिद्द आखिर छप्पर फाड़ के पूरी हुई है। कई बार मेडिकल में अनफिट होने के कारण वह आईटी के बीटेक इंजीनियर भी बन गए। आखिर उनकी फौजी अफसर बनने का सपना शानदार सफलता के साथ पूरा हुआ है। कभी हार न मानने की जिद्द, माता-पिता की प्रेरणा और कभी पीछे न हटने की भावना ने एक बीटेक इंजीनियर को भी फौजी अफसर बना ही दिया। हल्द्वानी के हिमांशु पांडे ने आखिर साबित कर दिया कि बार-बार प्रयास करने वालों की कभी हार नहीं होती। लेकिन, हिमांशु का दर्द यह है कि इतना प्रयास करने के बाद भी उन्हें एसएसबी क्लियर करने से न जाने किसने रोका था। 2017 तक हिमांशु ने 2021 तक स्व. विपिन चंद्र त्रिपाठी इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक की शिक्षा प्राप्त की। बचपन से ही हिमांशु का सपना आर्मी अफसर बनने का था। आखिर उसे सफलता मिली और देशभर में पहला नंबर हासिल कर हिमांशु ने राज्य के साथ ही हल्द्वानी का नाम भी रोश किया है। जल्द ही हिमांशु आईएमए देहरादून में ज्वाइन करेंगे।

गर्व की बात है कि हल्द्वानी के हिमांशु पांडे ने संयुक्त रक्षा सेवा (सीडीएस) परीक्षा में आल इंडिया स्तर पर पहली रैंक हासिल की है। उनकी इस उपलब्धि पर परिवार के साथ ही शुभचिंतकों व दोस्तों में खुशी की लहर है। जिले के लोग भी इसे बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं। हिमांशु का चयन भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून के लिए हुआ है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सीडीएस परीक्षा का परिणाम शुक्रवार देर शाम जारी किया। सीडीएस परीक्षा परिणाम के लिस्ट में पहला नाम हल्द्वानी के हिमांशु का है।

जानकारी के अनुसार हिमांशु ने इंटरमीडिएट तक की परीक्षा हल्द्वानी से की और 12वीं में उन्हें 95 प्रतिशत अंक मिले। इसके बाद उन्होंने अल्मोड़ा के द्वाराहाट स्थित स्व. विपिन चंद्र त्रिपाठी इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक की शिक्षा प्राप्त की। बताया जाता है कि बचपन से ही हिमांशु का सपना सेना में अफसर बनने का था और इसके लिए वह लगातार तैयारी करते रहते थे।

हिमांशु ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मुझे उस सभी समय एसएसबी को क्लियर करने से न जाने किसने रोका। साल बीतते गए और उम्र बढ़ गई और अब, मैं अपने निपटारे में स्नातक स्तर की पढ़ाई के प्रयास के साथ रह गया था। मुझे नहीं पता कि मैंने उस समय इन अस्वीकृतियों को एक चुनौती के रूप में लिया था या क्या, लेकिन पूरे कॉलेज में, मैंने अपने हर कदम और कार्रवाई का परिचय दिया और एक व्यक्ति के रूप में मुझे बेहतर बनाने के लिए जो भी प्रयास कर सकता था, दिया। चाहे वह खेल हो या अतिरिक्त पाठ्यक्रम, मैंने इसे अपना सब कुछ दिया और बस प्रक्रिया का आनंद लिया।

स्नातक होने के बाद, मैंने अपने पहले प्रयास में परीक्षा क्लियर की। आईएमए के लिए एआईआर-24 और आईएनए के लिए एआईआर-13 सुरक्षित करने के बाद मैं अकादमी में शामिल नहीं हो पाया था। यह मेरे जीवन का आज तक का सबसे असहाय और निराशाजनक दौर था, लेकिन अंत में मेरे माता-पिता की प्रेरणा और कभी हार न मानने की भावना के साथ जो हम सभी ने बीटीकेआईटी से उठाया था, मुझे पार करने में मदद मिली। इलाज में 1 साल, मैं खुद को यहां जाने और अकादमी में शामिल होने के लिए तैयार पाता हूं, लेकिन यहां तक कि यह 1 सम्मेलन बाहर था और भारतीय तटरक्षक सहायक कमांडेंट प्रवेश के लिए एक और चिकित्सा अस्वीकृति के साथ था, इससे पहले कि यह प्रवेश साफ हो गया।

यह मेरी कहानी है और जो कुछ मैंने सीखा है वह यह है कि खुद पर विश्वास करना और उन चीजों के लिए प्रयास करना जारी रखना जो आप दृढ़ता से महसूस करते हैं। सबसे बुरा होगा कि आप कुछ सबक सीखना समाप्त कर रहे होंगे और एक बेहतर व्यक्ति बन रहे होंगे। सबसे अच्छे केस परिदृश्य के लिए, आप सभी जानते हैं- आकाश सीमा है। अब आज मेरे ये 5 साल, 11 प्रयास और बी. टेक मेरे लिए कुछ अर्थपूर्ण है। और मैं यह सब बीटीकेआईटी के लिए बहुत उच्च सीमा तक कर्जदार हूं कि हमें इस तथ्य में मजबूत विश्वास करने के लिए कि अगर हम उस जगह से बच गए, तो हमारे लिए कोई सीमाएं नहीं हैं।

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