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उत्तराखंड की महिला कार्मिकों ने पुरानी पेंशन बहाली के नाम रचाई मेहंदी 

देहरादून, उत्तराखंड: राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली सँयुक्त मोर्चा के बैनर तले आज मातृशक्ति के महान पर्व करवाचौथ के उपलक्ष्य पर पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर उत्तराखंड की तमाम मातृशक्ति द्वारा राजकीय सेवा में सेवारत शिक्षिकावर्ग, अधिकारीवर्ग एवं कर्मचारीवर्ग ने पुरानी पेंशन बहाली मेहंदी कार्यक्रम द्वारा पुरानी पेंशन बहाली मेहंदी हाथों में रचकर सरकार को सचेत किया गया।

राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा(NOPRUF) उत्तराखंड के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ० डी० सी० पसबोला ने बताया कि मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी० पी० रावत ने निर्देशो के क्रम में प्रांतीय नेतृत्व अध्यक्ष अनिल बडोनी, प्रांतीय महासचिव सीताराम पोखरियाल , प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ० डी० सी० पसबोला, देवेंद्र बिष्ट, मिलेन्द्र बिष्ट, आलोक पांडेय आदि समस्त प्रांतीय नेतृत्व ने मातृशक्ति को नमन करते हुए परिवार सहित पुरानी पेंशन बहाली मेहंदी कार्यक्रम को मनाते हुए कहा कि सरकार पुरानी पेंशन बहाल किये बिना राजकीय कार्मिकों का भला नही कर सकती। करवाचौथ के अवसर मोर्चे की महिला उपाध्यक्ष योगिता पंत ने कार्यक्रम के माध्यम से सरकार को पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए आगाह किया। देहरादून से रेणु लाम्बा, मीनाक्षी जखमोला, हरिद्वार से डॉ० रक्षा रतूड़ी, ज्योत्शना कुकरेती, उत्तरकाशी से सरिता सेमवाल, टिहरी से यमुना रावत, पौड़ी से अवंतिका पोखरियाल, रश्मि गौड़, रुद्रप्रयाग से नीलम बिष्ट, शशि चौधरी, चमोली से ज्योति नौटियाल, अल्मोड़ा से रेणु डांगला, रजनी रावत आदि हज़ारों मातृशक्ति ने पुरानी पेंशन की बहाली के लिए हाथों में पुरानी पेंशन बहाली मेहंदी को रचकर सम्पूर्ण परिवार सहित उपवास रखकर सरकार को यह संदेश दिया है कि मातृशक्ति और परिवार सहित बच्चों को पुरानी पेंशन बहाली हेतु उपवास में बैठने पर मजबूर करना सरकार के लिए बिल्कुल भी अच्छे संकेत नही हैं।

डॉ० पसबोला ने जानकारी देते हुए बताया कि गढ़वाल मंडल के अध्यक्ष जयदीप रावत व मण्डल महासचिव नरेश कुमार भट्ट एवं कुमायूँ मण्डल महासचिव सुबोध कांडपाल ने परिवार सहित मातृशक्ति के इस पावन त्यौहार करवाचौथ पर सरकार को चेताया है कि सरकार को पुरानी पेंशन बहाल करनी ही होगी क्योंकि यह मुद्दा किसी भी दृष्टि से केंद्र का मुद्दा न होकर राज्य सरकार का अधिकार क्षेत्र का ही मुद्दा हैके केंद्र का नाम लेकर इससे सरकार अपने को बचा नही सकती वरना उत्तराखंड के दोनों मण्डल के 80000 से अधिक शिक्षक अधिकारी कर्मचारी संघर्ष को किसी भी स्तर तक करने चेतावनी भी देते हैं।

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