एसआईआर (SIR) उत्तराखंड में डेमोग्राफी बदलने वाली मंशा के ताबूत पर आखिरी कील: महेंद्र भट्ट

प्रदेश की शांत फिजा को बिगाड़ने की कोशिश करने वाले एसआईआर विरोधी: भट्ट
- एसआईआर उत्तराखंड में डेमोग्राफी बदलने वाली मंशा के ताबूत पर आखिरी कील: भट्ट
देहरादून, ब्यूरो। भाजपा ने एसआईआर की प्रक्रिया को प्रदेश में डेमोग्राफी बदलने की मंशा के ताबूत पर आखिरी कील साबित होने वाला बताया है।
प्रदेशाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद श्री महेंद्र भट्ट ने सवाल कसते हुए कहा कि विपक्ष को क्यों लगता है जो भी फर्जी नाम मतदाता सूची से हटे हैं या हटेंगे हैं वो सभी उनके ही समर्थक होंगे? यह कहीं न कहीं कांग्रेस और विपक्ष के मन में खोट का संकेत करती है।
SIR is the final nail in the coffin of the intention to change the demography of Uttarakhand: Mahendra Bhatt
भट्ट ने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण यानि एसआईआर को लेकर विपक्षी आपत्तियों को दरकिनार करने को
श्री भट्ट ने इसे संवैधानिक प्रक्रिया बताया है। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि आजादी के बाद 2004 तक देश में 8 बार यह प्रक्रिया पूरी की गयी है। लेकिन तब किसी तरह की आपत्ति राजनैतिक दलों द्वारा नहीं की गई। बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि तुष्टिकरण की राजनीति के चलते इस वैधानिक प्रक्रिया पर भ्रम फैलाया जा रहा है। जबकि चुनाव आयोग स्पष्ट कर चुका है कि इस पुनरीक्षण के तहत जो मतदाता मृत हो गए, दूसरे राज्यों में स्थानांतरित हो गए हैं या मतदाता मानकों को पूरा नही करते हैं, केवल उनका नाम ही हटाया जाएगा। उसमें भी उन्हें अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जाता है। लिहाजा मतदाता सूची को समय-समय पर संशोधित करने की इस वैधानिक प्रक्रिया के विरोध को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है।
भट्ट ने कहा कि विपक्ष का यह दावा कि बिहार में एसआईआर हुआ और उनके समर्थक वोटो को ही हटाया गया है पूरी तरह हास्यास्पद और सफेद झूठ है। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस समेत विपक्ष के तर्क से लगता है कि जो भी अयोग्य या फर्जी मतदाता था वो उनका समर्थक ही था। अर्थात उनके नेताओं को मालूम है कि कौन कौन फर्जी वोटर हैं और एसआईआर हुई तो पकड़े जायेंगे। वहीं आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी तुष्टिकरण नीति के लिए अपने फर्जी वोट बैंक को बचाना चाहती है। इसीलिए मतदाताओं विशेषकर अल्पसंख्यकों में झूठ एव भ्रम फैला रही है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा सरकार एसआईआर की इस संवैधानिक प्रक्रिया को उत्तराखंड में हर हाल में पूरा करने में सहयोग करेगी। हमारी मंशा स्पष्ट है कि मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण हो और प्रदेश के सभी मतदाताओं के नाम इसमें अंकित हो और फर्जी नाम इससे बाहर हों। ताकि आने वाले चुनाव में देवभूमि के जनता ही अपनी लोकप्रिय सरकार बनाने में भूमिका निभाए। उन्होंने इस प्रक्रिया को प्रदेश में डेमोग्राफी संतुलन बनाए रखने के प्रयासों में भी बहुत मददगार बताया। उन्होंने निशाना साधा कि जो लोग राज्य के देवभूमि स्वरूप को बिगाड़ कर यहां की शांत फिजा को खराब करने की मंशा रखते हैं, वही एसआईआर का विरोध कर रहे हैं।



