VIDHANSABHA BACKDOOR JOBES की जांच को बनी ये कमेटी, कौन-कौन होगा पैदल? संशय बरकरार
इन भर्तियों की जांच के लिए गठित कमेटी के निर्णय के बाद होगी कार्रवाई : ऋतु खंडूड़ी, स्पीकर
देहरादून, ब्यूरो। उत्तराखंड विधानसभा (UTTARAKHAND VIDHANSABHA) में अवैध नियुक्तियों (VIDHANSABHA BACKDOOR JOBES) को लेकर खूब बवाल हो रहा है। VIDHANSABHA में हुई इन नियुक्तियों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने VIDHANSABHA अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को पत्र लिखकर निष्पक्ष जांच की बात करने के साथ ही अवैध तरीके (VIDHANSABHA BACKDOOR JOBES) से VIDHANSABHA में हुई नियुक्तियों को निरस्त करने के संकेत पहले ही दे चुके हैं।
वहीं, आज UTTARAKHAND VIDHANSABHA में हुई प्रेस वार्ता के दौरान विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने बताया कि विधानसभा में हुई नियुक्तियों (VIDHANSABHA BACKDOOR JOBES) की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित की गई है। 3 विशेषज्ञों की कमेटी गठित कर दी है।
उन्होंने कहा कि विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल अवकाश को फोर्स लीव पर भेज दिया गया है। नए अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपने के साथ ही हाई पावर कमेटी गठित कर मामले की जांच की जाएगी। उन्होंने नियम विरुद्ध हुए प्रमोशन के साथ अवैध तरीके से हुई नियुक्तियों को लेकर कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद नियमानुसार निर्णय लेने की बात कही।
जब तक कोई निर्णय इस संबंध में जारी न हो पाए तब तक कुछ भी कहना अतिशयोक्ति होगा। दिल्ली से लौटने के बाद आज विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने इस मामले में प्रेस वार्ता की है। VIDHANSABHA BACKDOOR JOBES की जांच के लिए रिटायर्ड IAS दिलीप कुमार कोटिया को अध्यक्ष, सुरेंद्र सिंह रावत को और अवनेद्र सिंह नयाल को सदस्य बनाया गया है।
भाजपा के प्रेमचंद अग्रवाल ने 72 को बनाया विस कार्मिक
दूसरी ओर इस बार विधानसभा चुनाव से पहले स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने भी ऐसा ही कुछ खेल खेला और 72 कर्मचारियों को पिछले दरवाजे से अवैध तरीके से विधानसभा का सरकारी कर्मचारी बना दिया। इन्होंने नियुक्तियां तो दे दी, लेकिन फिर से तनख्वाह का पेंच फंस गया। वित्त विभाग की ओर से इनकी तनख्वाह जारी नहीं की गई।
इसके बाद मार्च में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद फिर से भाजपा की सरकार बनी और प्रेमचंद अग्रवाल ने वित्त मंत्रालय जोड़-तोड़ कर अपने पास ले लिया। वित्त मंत्री बनते ही उन्होंने सबसे पहला काम इन कर्मचारियों की तनख्वाह जारी करने वाली फाइल को पास करने का किया। वहीं, अब बवाल मचा तो ये 72 नियुक्तियां प्रेमचंद अग्रवाल के गले की फांस बने हुए हैं। मीडिया के सामने हालांकि वह कह चुके हैं कि सिर्फ मैंने ही थोड़े ऐसे नियुक्तियां करवाई, इससे पहले भी तो सभी विधानसभा अध्यक्ष के कार्यकाल में बैक डोर से भर्तियां हुई हैं।
काँग्रेस के कुंजवाल ने 159 कार्मिक
बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा में राज्य गठन के बाद बड़ा खेल तब हुआ जब विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने 159 कर्मचारियों को पीआरडी और उपनल के जॉइनिंग लेटर निरस्त करवा कर सीधे एक अर्जी पर ही विधानसभा का परमानेंट कर्मचारी बना दिया। इसके बाद तत्कालीन वित्त सचिव अमित सिंह नेगी ने विधानसभा के इन 159 कर्मचारियों की तनख्वाह ट्रेजरी से जारी करने पर रोक लगा दी। लेकिन, विधानसभा अध्यक्ष कुंजवाल ने अमित सिंह नेगी की बजाय एक निचले अधिकारियों पर दबाव डलवा कर इन कर्मचारियों को ट्रेजरी से तनख्वाह जारी करवाकर सरकारी नौकर बनाने की नींव रख डाली। इनमें तत्कालीन स्पीकर कुंजवाल की बहू से लेकर तमाम रिश्तेदार भी विधानसभा जैसी जगह पर सरकारी नौकरी पा गए हैं।
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