पूर्व मंत्री और विधायक प्रीतम पंवार ने दिल्ली में थामा भाजपा का दामन
यमुनोत्री या धनोल्टी विधानसभा से चुनाव मैदान में उतरने के लगाए जा रहे कयास
देहरादून: चुनाव आते ही नेताओं की पार्टियों का दामन थामने का दौर शुरू हो गया है। कई विधायक भी ऐसे हैं जिसके भाजपा हाईकमान ने टिकट काटे जाने का संकेत दिया है। ऐसे में दिल्ली से एक बड़ी खबर आ रही है। जिसके अनुसार उत्तराखंड क्रांति दल के मजबूत स्तम्भ, निर्दलीय विधायक धनोल्टी और पूर्व मंत्री रहे प्रीतम सिंह ने आज दिल्ली भाजपा मुख्यालय में पार्टी का दामन थाम लिया है। हालांकि कई दिन से उनके भाजपा में शामिल होने के संकेत मिल रहे थे। बुधवार को विधायक व पूर्व मंत्री प्रीतम सिंह पंवार सांसद अनिल बलूनी और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के साथ भाजपा मुख्यालय दिल्ली पहुंचे और उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया। इस संबंध में उत्तराखंड के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने ट्वीट कर जानकारी दी थी कि एक महत्वपूर्ण चेहरा आज भाजपा में शामिल होने जा रहा है। प्रीतम सिंह पंवार के भाजपा में शाामिल होने के बाद धनोल्टी और यमुनोत्री विधानसभा में भी समीकरण बदलने के आसार हैं। कहीं न कहीं प्रीतम सिंह चुनाव को देखते हुए दोनों विधानसभा क्षेत्रों में उनकी सक्रियता भी देखने को मिली है। वहीं, दूसरी ओर उनके धनोल्टी से ही फिर मैदान में उतरने की भी कयासबाजी चल रही हैं। अब देखना होगा कि प्रीतम सिंह पंवार किस विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव मैदान में उतरते हैं।
आपको बता दें कि उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव कुछ माह बाद ही होने हैं। ऐसे में नेता का एक-दूसरी पार्टी में शामिल हो रहे हैं। कोई कांग्रेस कोई भाजपा तो कोई आप का दामन थाम रहे हैं। प्रीतम सिंह पंवार विगत कुछ माह से यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय थे। ऐसे में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि वह यमुनोत्री विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। आपको बता दें कि प्रीतम सिंह पंवार यमुनोत्री के विधायक रह चुके हैं। हालांकि निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद भी वह उक्रांद से दूरी बनाए रखे।
2017 में धानोल्टी विधानसभा से चुनाव जीतने के बाद भी वह उक्रांद में शामिल नहीं हुए। कहीं न कहीं उक्रांद से ज्यादा उनका खुद का नेटवर्क इतना मजबूत रहा कि वह किसी भी पार्टी में शामिल नहीं हुए। अब उन्होंने भाजपा का दामन थामने के बाद एक नई सियासी कयासबाजी को हवा दे दी है। अब देखना होगा कि वह किस विधानसभा से चुनाव मैदान में उतरते हैं। अगर वह यमुनोत्री से चुनाव मैदान में उतरे तो यहां सिटिंग विधायक केदार सिंह रावत के लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा। ऐसे में हो सकता है कि विधायक केदार सिंह रावत कोई नया विकल्प चुनें या फिर अपनी घर वापसी करते हुए फिर से कांग्रेस में शामिल हो जाएं तो इसमें भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।