विश्व खाद्य दिवस… बैलेंस डाइट सहित कई पहलुओं पर एम्स ऋषिकेश में किया गया जागरूक
देहरादून/ ऋषिकेश, उत्तराखंड: एम्स ऋषिकेश में विश्व खाद्य दिवस मनाया गया, जिसमें नॉन कोविड एरिया में आम नागरिकों, मरीजों, तीमारदारों को विश्व खाद्य दिवस के उद्देश्य संबंधी विस्तृत जानकारियां दी गई। संस्थान में शनिवार को विश्व खाद्य दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बायो कैमेस्ट्री विभाग की प्रोफेसर सत्यावती राना ने इस दिवस को मनाने के उद्देश्य पर प्रकाश डाला व इसकी महत्ता बताई। कार्यक्रम में मरीज, उनके तीमारदारों, नर्सिंग व सिक्योरिटी स्टाफ के साथ ही अन्य लोगों ने भी प्रतिभाग किया। विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डा. किरन मीणा ने इस दिवस का महत्व समझाते हुए स्वस्थ रहने के लिए किस तरह के पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है इस बाबत मरीजों, उनके तीमारदारों व अन्य लोगों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह से विभिन्न प्रकार की हरी सब्जियों, दालों व सीजनल फ्रुट्स की बैलेंस डाइट से हम जीवन में स्वस्थ रह सकते हैं। उन्होंने जोर दिया कि हमारी हरसंभव कोशिश होनी चाहिए कि हम बाजार में उपलब्ध भोजन को खाने की बजाए घर में बने भोजन का सेवन करना चाहिए। दुनिया में भूखमरी की समस्या को मद्देनजर हमें भोजन को खराब होने से बचाने के लिए आवश्यकता अनुसार ही अपनी थाली में भोजन परोसना चाहिए। डा. मीणा ने किसी बड़ी पार्टी या समारोह में अक्सर अवशेष रहने वाले भोजन को स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से ऐसे लोगों को उपलब्ध कराने की जरूरत बताई जो लोग भूख से ग्रसित हों। उन्होंने बताया कि खासकर विकासशील देशों में बहुत से लोग भूख से ग्रसित हैं यदि हम प्रयास करें तो अवशेष भोजन से ऐसे लोगों को निवाला उपलब्ध कराया जा सकता है। संस्थान के एनाटॉमी विभाग की एडिशनल प्रोफेसर रश्मि मल्होत्रा ने खाद्य पदार्थों की सुरक्षा, सही समय व अनुपात में लेने की महत्ता बताई। साथ ही उन्होंने अवशेष भोजन के सही निस्तारण पर भी जोर दिया। डा. रश्मि ने बताया कि आपका आहार ही आपकी औषधि है, साथ ही उन्होंने भारतीय संस्कृति व आयुर्वेद में आहार, विहार व आचार के लिए तय नियमों व खानपान से जुड़ी प्राचीन परंपराओं का अनुपालन सुनिश्चित करने पर जोर दिया, उन्होंने बताया कि हम तभी स्वस्थ जीवन जी सकते हैं जब हम दैनिक कैलोरी के अनुसार बैलेंस डाइट एवं मानकों के आधार पर तय फूड पिरामिड के अनुसार भोजन करें।
उन्होंने बताया कि वर्तमान जीवनशैली व फास्टफूड के अत्यधिक बढ़ते चलन से हमारे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है और हम स्वस्थ जीवन नहीं जी पा रहे हैं,लिहाजा इसके लिए जीवनशैली के साथ हमें अपने खानपान में भी बदलाव लाना होगा।
अपनी भारतीय प्राचीन पद्धतियों और आधुनिक मेडिकल साइंस के समन्वय को अपनाकर ही हम स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकते हैं। इस दौरान मरीजों, उनके तीमारदारों ने विशेषज्ञ चिकित्सकों के समक्ष अपनी समस्याएं रखी, चिकित्सकों ने उनकी शंकाओं का समाधान किया।