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पौराणिक परंपराओं के साथ शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट…

पौराणिक परंपराओं के साथ शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट…

चमोली, उत्तराखंड: शनिवार को विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट पौराणिक परंपराओं के साथ शीतकाल के लिये बंद कर दिये गये। इसके साथ ही चारधाम यात्रा भी इस साल समाप्त हो गई है। कपाट बंद होने के मौके पर चार हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान नारायण के दर्शन किए। शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त में बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलते ही मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नम्बूदरी मंदिर के गर्भगृह भगवान नारायण की अभिषेक पूजाओं और पुष्प श्रृंगार किया। रावल ईश्वर प्रसाद नम्बूदरी ने महिला वेष में माता लक्ष्मी की सखी के रूप में गर्भ में प्रवेश किया। इसके बाद यहां माता लक्ष्मी को भगवान नारायण के सानिध्य में विराजमान कर पूजा-अर्चना की गई।

शाम 4 बजे मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रियाएं शुरू की गई। मुख्य पुजारी रावल ने मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश कर माणा गांव की सुहागिन महिलाओं द्वारा ऊन से बनी घृत कम्बल भगवान नारायण को ओढाया। यहां करीब 1 घंटे तक चली विशेष पूजाओं के बाद निर्धारत 6 बजकर 45 मिनट पर मंदिर के कपाट शीतकाल के बंद कर दिये गये। इसके साथ ही इस साल की चार धाम यात्रा भी समाप्त हो गई है। चार धाम यात्रा में इस बार लाखों श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।

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