ये उत्तराखंड है जी…25 की जगह लिख दिया 14, डेढ़ साल तक खामियाजा भुगतते रहे आरटीओ कर्मी…
लंबे संघर्ष के बाद आरटीओ मिनिस्टीरियल कर्मियों की 1 सूत्रीय मांग पूरी, शासनादेश जारी
देहरादून, उत्तराखंड: उत्तराखंड में बिना आंदोलन के शायद कोई जायज मांग भी पूरी नहीं होती है। इसीलिए यह छोटा-सा पर्वतीय राज्य हड़ताल प्रदेश के रूप में अपनी पहचान बनाता जा रहा है। उत्तराखंड में लालफीताशाही इस कदर हावी है कि अपनी ही गलती को सुधारने के लिए उत्तराखंड शासन ने डेढ़ साल का समय गुजार दिया। एक टाइपिंग मिस्टेक के कारण परिवहन विभाग के मिनिस्टीरियल कर्मियों का डेढ़ साल से प्रमोशन नहीं हो पाया। कई दिनों तक आंदोलन के बाद अब मंगलवार को उत्तराखंड शासन के परिवहन सचिव डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने त्रुटि को सुधारने को लेकर परिवहन आयुक्त को पत्र जारी किया है। इसके साथ ही उन्होंने परिवहन विभाग के ढांचे में और विस्तार करने के भी निर्देश दिए हैं।
डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि परिवहन विभाग, उत्तराखण्ड के संरचनात्मक ढांचे का पुनर्गठन किया गया है, जिसमें मिनिस्ट्रीयल संवर्ग हेतु कुल 340 पदों का ढांचा स्वीकृत किया गया है। 2 पूर्व सृजित ढांचे में मिनिस्ट्रीयल संवर्ग हेतु पूर्व से कुल 321 पद सृजित थे तथा उक्त शासनादेश संख्या- 147, दिनांक 05 जून 2020 के अनुसार 30 अतिरिक्त पदों का सृजन किया गया, जिसके उपरान्त मिनिस्ट्रीयल संवर्ग हेतु कुल सृजित पदों की संख्या 351 होनी थी। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पूर्व से कुल 25 पद सृजित थे, जो टककीय त्रुटिवश 25 पद के स्थान पर 14 पद टंकित हो गया था, जिस कारण 30 अतिरिक्त पदों के सृजन के पश्चात् भी कुल मिनिस्ट्रीयल कर्मियों की संख्या-321 के स्थान पर 310 हो गयी। इसके अतिरिक्त उक्त शासनादेश दिनांक 05 जून 2020 में स्वीकृत / पुनर्गठित ढांचे में पूर्व सृजित पद भी छूट गये थे।
वहीं दूसरी ओर यह शासनादेश जारी होने के बाद आरटीओ मिनिस्टीरियल कर्मचारियों की हड़ताल भी खत्म हो गई है। कई दिन के संघर्ष के बाद शासनादेश जारी हुआ तो कर्मचारियों ने भी खुशी मनाई और हड़ताल खत्म कर दी।