भारतीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखा पत्र
देहरादून, उत्तराखंड: उत्तराखंड की सत्ता में करीब 4 साल से अधिक समय तक मुख्यमंत्री रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत का कार्यकाल खत्म होते-होते ऐसे दिन आएंगे शायद ही किसी ने सोचा होगा। उन्हें भाजपा हाईकमान ने बजट सत्र के दौरान ही दिल्ली पहुंचने का आदेश दे दिया और तख्तापलट करते हुए पुष्कर सिंह धामी को कमान सौंप दी थी। शायद इसी का दर्द है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत अब विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ना चाहते हैं।
आज ही उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है। इस संबंध में उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि पार्टी ने मुझे देवभूमि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करने का अवसर दिया यह मेरा सौभाग्य था। उन्होंने कहा कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हुआ है और प्रदेश में युवा पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भाजपा फिर सरकार बना रही है। इसके लिए मैं अपना पूरा समय देना चाहता हूं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि डोईवाला विधानसभा क्षेत्र की जनता आगे भी पार्टी का आशीर्वाद मिलता रहेगा।
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो त्रिवेंद्र सिंह रावत को जहां हाईकमान ने सीएम पद से हटा दिया था, वहीं डोईवाला में संभावित है कि इस बार कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हरक सिंह चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। ऐसे में त्रिवेंद्र पहले सेफ साइड होकर चुनावी दंगल में उतरने की बजाय मैदान से ही भाग गए हैं। या फिर यूं कहें कि त्रिवेंद्र को पहले ही भनक लग चुकी है कि पार्टी इस बार डोईवाला से उन्हें शायद टिकट नहीं देने वाली और अगर देगी भी तो हार संभावित है। ऐसे में त्रिवेंद्र ने पहले ही अपना पैंतरा बदल लिया है। दो माह बाद प्रदेश की सियासी फिजां कुछ से कुछ होने जा रही है। ऐसे में कई अर्श से फर्श पर उतर जाएंगे तो कई फर्श से अर्श पर। पांच साल बाद होने वाले चुनावी त्यौहार में ऐसे तरह-तरह के घटनाक्रम अभी नामांकन होने से लेकर नई सरकार के सीएम और मंत्रीमंडल बनने तक जारी रहेंगे।