उत्तराखंड

पहली बार बनी पार्किंग नीति, खेती की जमीन पर भी बना सकेंगे पार्किंग

देहरादून। उत्तराखंड में अब खेती की जमीन पर भी खुली पार्किंग बन सकेगी। इसके लिए न तो लैंड यूज बदलने की जरूरत होगी और न ही कोई अन्य सरकारी अड़चन। पार्किंग की समस्या दूर करने के लिए धामी कैबिनेट ने उत्तराखंड राज्य पार्किंग (स्थल चयन, निर्माण एवं संचालन इत्यादि) नियमावली, 2022 को मंजूरी दे दी है।

इस नीति के तहत चार श्रेणियों में पार्किंग के निर्माण होंगे। शासन स्तर से सरकारी जमीनों पर पार्किंग बनेगी। निजी जमीनों पर कोई भी व्यक्ति पार्किंग का निर्माण कर सकेगा। सरकारी जमीनों पर निजी विकासकर्ता भी पार्किंग का निर्माण कर सकेगा, वहीं निजी जमीनों पर सरकार पार्किंग का निर्माण कर सकेगी।

प्रदेश में जो भी पार्किंग बनाएंगे, उन्हें पांच साल तक एक रुपया प्रति यूनिट की दर से बिजली में छूट मिलेगी। उनसे सरकार सब डिविजनल चार्ज या डेवलपमेंट चार्ज भी नहीं लेगी। स्थानीय युवा वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना के तहत लोन लेकर भी पार्किंग निर्माण कर सकेंगे।

अगर कोई होटल, रेस्तरां, अस्पताल या कॉलेज अपनी पार्किंग अन्यत्र बनाता है तो उसे नियमों का पालन करने के साथ ही उस पार्किंग का एक हिस्सा सार्वजनिक पार्किंग के लिए भी रखना होगा, ताकि बाहर से आने वाले लोग यहां वाहन पार्क कर सकें।

सभी शहरों में पार्किंग स्थल के चयन और वहां वसूले जाने वाले टैरिफ के लिए संबंधित विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाएगा। इस समिति में पुलिस अधीक्षक या उनका नामित सदस्य, नगर नियोजन विभाग का प्रतिनिधि, अपर जिलाधिकारी प्रशासन, स्थानीय निकाय से मुख्य नगर अधिकारी या अधिशासी अधिकारी, यातायात निरीक्षक, अग्निशमन अधिकारी शामिल होंगे।

पर्यटन सीजन में पार्किंग पर्याप्त न होने की वजह से मसूरी और नैनीताल जैसे पर्यटन स्थलों पर लंबे जाम लग जाते हैं। लोग घंटों जाम से जूझने के बाद या तो लौट जाते हैं या किसी तरह आगे बढ़ पाते हैं। पार्किंग नीति आने के बाद इतनी पार्किंग हो जाएगी कि लोगों को अपने वाहन खड़े करने में परेशानी नहीं होगी। प्रदेश में करीब 300 प्रतिशत की दर से वाहन बढ़ रहे हैं। राज्य गठन के समय तीन लाख 63 हजार 916 वाहन थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर करीब 28 लाख 80 हजार 520 पहुंच गई है। इसमें निजी वाहनों की संख्या ही करीब 26 लाख से अधिक है।

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