गोलमाल…इस अस्पताल ने फर्जी पैथोलॉजी रिपोर्ट लगाकर आयुष्मान भारत से ले लिया करोड़ों का क्लेम

मामला सामने आने पर स्वास्थ्य प्राधिकरण ने आयुष्मान स्पेशिलिटी हास्पिटल की सूचीबद्धता निलंबित की, क्लेम का पैसा वसूलेंगे
देहरादून, उत्तराखंड: फर्जी पैथोलाजी रिपोर्ट के आधार पर क्लेम प्राप्त करने पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने काशीपुर के आयुष्मान स्पेशिलिटी हास्पिटल की सूचीबद्धता निलंबित कर दी है। आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना व राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना में सूचीबद्ध आयुष्मान स्पेशिलिटी हास्पिटल ने 1324 मामलों में तीन करोड़ 42 लाख पचास हजार 908 रुपये का क्लेम प्रस्तुत किया। इनमें डा. योगेश स्वामी की पैथोलाजी रिपोर्ट नाम, हस्ताक्षर व अस्पताल की मोहर के साथ दी गई। जबकि डा. योगेश ना अस्पताल में कार्यरत हैैं और न अन्य कोई संबंध है। उन्होंने अपने नाम का गलत उपयोग करने व फर्जी हस्ताक्षर की पुष्टि लिखित रूप में की है। जिस पर प्राधिकरण ने माना है कि यह एक गंभीर आपराधिक कृत्य है। अस्पताल ने प्राधिकरण के साथ धोखाधड़ी की है। इस तरह के कृत्य से मरीजों की जान को भी खतरा हो सकता है। प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया ने बताया कि उक्त प्रकरण में दो करोड़ 91 लाख 81 हजार 598 रुपये के क्लेम का भुगतान अस्पताल को कर दिया गया था। ऐसे में अब इस रकम की रिकवरी की जा रही है। अस्पताल के अन्य क्लेम का 83 लाख 9 हजार 902 रुपये अभी लंबित हैैं। जिसका भुगतान रोक दिया गया है। यह रकम रिकवरी के तौर पर समायोजित कर ली गई है। बाकी दो करोड़ 14 लाख 67 हजार 676 रुपये की रिकवरी अब अस्पताल से की जाएगी।
राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण आयुष्मान योजना का संचालन कर रहे राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से जहां बेहतर कार्य करने वाले अस्पतालों को समय-समय पर प्रोत्साहित किया जाता है वहीं किसी तरह की लापरवाही या अनियमितताएं करने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई भी की जाती है। हाल में आई शिकायतों व जांच-पड़ताल के बाद फर्जी पैथोलाजी रिपोर्ट के आधार पर क्लेम प्राप्त करने पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने काशीपुर स्थित आयुष्मान स्पेशिलिटी हास्पिटल की सूचीबद्धता निलंबित कर दी है। हालांकि निलंबन के मानकों के अनुरूप नोटिस के पांच दिन के भी संबंधित अस्पताल अपना पक्ष रख सकते हैं।
मामला यह है कि आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना व राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना में सूचीबद्ध आयुष्मान स्पेशिलिटी हास्पिटल ने 1324 मामलों में तीन करोड़ 42 लाख पचास हजार 908 रुपये का क्लेम प्रस्तुत किया। इनमें डा. योगेश स्वामी की पैथोलाजी रिपोर्ट नाम, हस्ताक्षर व अस्पताल की मोहर के साथ दी गई। जबकि प्राधिकरण की जांच-पड़ताल में पाया गया कि डा. योगेश ना अस्पताल में कार्यरत हैैं और न अन्य कोई संबंध है। उन्होंने अपने नाम का गलत उपयोग करने व फर्जी हस्ताक्षर की पुष्टि लिखित रूप में की है। जिस पर प्राधिकरण ने माना है कि यह एक गंभीर आपराधिक कृत्य है।
प्राधिकरण प्रशासन ने माना है कि अस्पताल ने प्राधिकरण के साथ धोखाधड़ी की है। इस तरह के कृत्य से मरीजों की जान को भी खतरा हो सकता है। संबंधित अस्पताल से रिकवरी की प्रक्रिया की जा रही है। जाहिर तौर पर एस.एच.ए. के इस निर्णय से किसी तरह की भी लापरवाही या अनियमिताएं करने वालों को सबक मिलेगा। बता दें कि 2019 से अब तक प्राधिकरण द्वारा लगभग 22 अस्पतालों पर कार्रवाई की जा चुकी है। जिसमें उनसे पेनल्टी के रूप में 2 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि वसूली जा चुकी है।