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उत्तराखंडराज-काज

दिनभर चली उठा-पटक, पुरोला विधायक नहीं कर पाए भाजपा ज्वाइन

कई नेता जोड़-तोड़ और पार्टियों की अदला-बदली में लगे

आशीष डोभाल, देहरादून: उत्तराखंड में चुनाव की सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं। ऐसे में कई नेता जोड़-तोड़ और पार्टियों की अदला-बदली में लगे हैं। उत्तराखंड की पुरोला विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक को लेकर सुबह दस बजे से भाजपा में घर वापसी को लेकर सियासी चर्चाओं का बाजार गर्म रहा। यही नहीं पुरोला में भी कई नेताओं को मीटिंग के लिए बुलाया गया था। लेकिन, दोपहर तक सभी चर्चाओं पर विराम लगा।

करीब 11 बजे उनके पार्टी में शामिल होने की खबर आई। इस पर हाईकमान से पहुंचे नेताओं ने पुरोला विस क्षेत्र के भाजपा नेताओं को भी पुरोला पहुंचने के आदेश दिए थे, लेकिन देर शाम तक भी राजकुमार भाजपा में वापसी नहीं कर पाए। वहीं, दूसरी ओर एक चर्चा और गर्म रही कि पूर्व विधायक व भाजपा नेता कांग्रेस का दामन थामने वाले हैं, लेकिन देर शाम तक वह भी महज एक चर्चा ही रही। उन्होंने भी कांग्रेस का दामन नहीं था। ऐसे में इन दोनों नेताओं के कारण तमाम राजनेता और पत्रकार अपने सूत्र खंगालते रहे। हाईकमान का आर्डर आने से पहले ही लोग विधायक जी का घर वापसी का प्लान तैयार कर चुके थे। वहीं, पूर्व विधायक मालचंद जहां भाजपा छोड़ने और कांग्रेस ज्वाइन करने की बात को अफवाह बता रहे थे, वहीं वर्तमान विधायक राजकुमार भी किसी का फोन नहीं उठा रहे थे। वहीं, पुरोला के स्थानीय नेता और दोनों नेताओं के करीबी भी करीब तीन दिन से इन चर्चाओं को हवा दे रहे थे कि विधायक राजकुमार भाजपा ज्वाइन कर रहे हैं, लेकिन यह मात्र एक चर्चा ही रही।

देखा जाए तो कांग्रेस विधायक राजकुमार का उनकी पार्टी नेताओं कार्यकर्ताओं की ओर से विरोध किया जा रहा है। कई बार स्थानीय कांग्रेसी उनके खिलाफ मुखर हो चुके हैं। विधायक जी को पलक पांवड़े बिछाकर जितवाले वाले नौगांव इलाके के मतदाता भी विधायक के कार्यकाल को असफल करार दे रहे हैं। स्थानीय निवासी कहते हैं कि उनका कोई एक ऐसा काम बता दीजिए जिसे ऐतिहासिक कहा जा सके। सड़क, पानी, बिजली, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए अभी तरस रहे हैं। पुरोला विधानसभा के कई गांव ऐसे हैं जहां पहुंचने के लिए कई किलोमीटर का सफर करना पड़ता है। बीमार लोगों को डंडी-कंडी से ढोकर किसी तरह सड़क तक पहुंचाया जाता है। ऐसे में बीमार व्यक्ति आधे रास्ते में ही बेमौत काल के गाल में समा रहे हैं। अब देखना होगा कि 10-15 दिन में पुरोला विधानसभा में क्या उठापटक चलती है। कहीं न कहीं अब देखना होगा कि चुनावी समर में दिग्गज अपनी मिशन विधायक वाली वैतरणी को किस पार्टी का दामन थामकर पार करते हैं।

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