भाजपा ने उपचुनाव में करारी हार के 24 घंटे बाद कम किए पेट्रोल डीजल के दाम…
हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों में हारी भाजपा, काग्रेस को बढ़त
नई दिल्ली/ देहरादून: हिमाचल समेत कई राज्यों में हुए उपचुनाव के नतीजे में हार मिलने के बाद भाजपा की केंद्र सरकार ने छोटी दीवाली पेट्रोल और डीजल के रेट कम किए हैं। उपचुनाव के नतीजों ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को महंगाई की आंच को हल्की करने को मजबूर कर दिया। भाजपा चाहे कुछ भी कहे लेकिन चुनाव में हार मिलने के बाद ही दिवाली तोहफे के नाम पर केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क और कुछ राज्यों ने वैट घटाया दिया। अभी तक सिर्फ अपनी बात को ही देश में मुददा समझने/बनाने वाली भाजपा को हिमाचल समेत कई राज्यों के मतदाताओं ने उपचुनाव में जमीन हकीकत से रूबरू करा दिया। सत्ता हिलती दिखी तो केंद्र सरकार सावधानी की मुद्रा में आ गई। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के राज्य में ही भाजपा को बुरी तरह से उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। कुछ समय बाद उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। देश का आम आदमी भाजपा भाजपा के अदूरदर्शी फैसलों के खिलाफ वोट देकर अपना जवाब देगी। जिस देश में आलू, टमाटर जैसे खाद्य पदार्थों के दाम सत्ता गिरा देते हैं उस देश में हर चीज दिन-ब-दिन आम आदमी की पहुंच से दूर होती जा रहा है।
भाजपा कहीं ना कहीं जनता के मूड को कुछ तो समझ ही गई है इसीलिए विभिन्न राज्यों में हुए उपचुनाव के नतीजे आने के 24 घंटे के भीतर केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कमी का ऐलान कर दिया। इससे पेट्रोल पांच और डीजल 10 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो जाएगा। यही नहीं केंद्र ने लगे हाथ राज्यों से भी वैट में कमी करने की सलाह दे दी। अभी तक महंगाई पर मौन रहकर इसे जस्टिफाई करने वाली केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और भाजपा संगठन को बैकफुट पर आते देख उत्तराखंड समेत कई राज्यों ने वैट घटना शुरू कर दिया है। इससे थोड़ी राहत लोगों को जरूर मिलेगी।
इस तरह से कहा जा सकता है कि महंगाई की आंच थोड़ा हल्की हुई है। हालांकि ये देखने वाली बात होगी कि बाजार में स्थापित हो चुकी महंगाई से लोगों को राहत कब तक मिलेगी। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत और भारत में पेट्रो पदार्थों की कीमत का अनुपात अभी भी न्याय संगत/जनपक्षीय नहीं है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां महंगाई को आने वाले विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर पेश करेगी।