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कार्बोहाइड्रेट्स के रसायनिकी और जैविकी पर एफआरआई में देश विदेश के विशेषज्ञों ने साझा किए विचार

Fri dehradun…NTERNATIONAL CONFERENCE ON ‘ADVANCES IN CHEMISTRY AND BIOLOGY OF CARBOHYDRATES’ (CARBO XXXV)

एफ आर आई देहरादून में कार्बोहाइड्रेट्स के रसायनिकी एवं जैविकी में एडवांसमेंट पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (कार्बो XXXV) का हुआ आयोजन

देहरादून, उत्तराखंड: भारत की स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष (आज़ादी का अमृत महोत्सव) के उपलक्ष्य में, वन अनुसंधान संस्थान (FRI), देहरादून के रसायन एवं जैव पूर्वेक्षण प्रभाग एवं एसोसिएशन ऑफ कार्बोहाइड्रेट केमिस्ट एंड टेक्नोलॉजिस्ट, इंडिया (ACCTI) के संयुक्त तत्वावधान में आज 4 दिसम्बर को “एडवांसेज इन केमिस्ट्री एंड बायोलॉजी ऑफ़ कार्बोहाइड्रेट्स” विषयक दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (कार्बो XXXV) का शुभारम्भ हुआ। भारतीय वानिकी अनुसन्धान एवं शिक्षा परिषद् के सम्मलेन कक्षा में वर्चुअल मोड में आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में यूएसए, जर्मनी, यूके, नीदरलैंड, पुर्तगाल, आदि देशों के वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों, भारत के प्रमुख शैक्षणिक एवं वैज्ञानिक संस्थानों जैसे सीएसआईआर, आईआईटी, आईआईएसईआर, आईसीएआर और एफ़आरआई सहित देश-विदेश के 250 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए सत्र के मुख्य अतिथि श्री ए.एस. रावत, महानिदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून ने जीवन के विभिन्न आयामों में कार्बोहाइड्रेट की भूमिका और उनके औद्योगिक महत्व को रेखांकित किया। श्री रावत ने वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों से न केवल कार्बोहाइड्रेट की उन्नति के लिए नवीन तकनीक विकसित करने का आह्वान किया, बल्कि लाभ के लिए अनंत अवसर पैदा करने के लिए क्रॉस-डिसिप्लिनरी वैज्ञानिक विचार-विमर्श और सहयोग पर बल दिया। श्री रावत ने खरपतवारों के उपयोग हेतु नवीन तकनीकों के विकास पर बल दिया ताकि हमारे वन सुरक्षित रह सकें एवं लोगों की आजीविका का साधन बन सके। उन्होंने वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और उद्दमियों के हित में सम्मेलन आयोजित करने के लिए रसायन विज्ञान और बायोप्रोस्पेक्टिंग डिवीजन, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून और एसीसीटीआई के सामूहिक प्रयासों की भी सराहना की।

उद्घाटन सत्र डॉ. विनीत कुमार, वैज्ञानिक-जी, रसायन एवं जैव पूर्वेक्षण प्रभाग और सम्मेलन के आयोजन सचिव के स्वागत भाषण के साथ शुरू हुआ। प्रो. के.पी.आर. करथा, एसीसीटीआई के सलाहकार ने एसीसीटीआई की गतिविधियों के बारे में बताया। डॉ. पी.एल. सोनी, मुख्य संपादक, ‘ट्रेंड्स इन कार्बोहाइड्रेट रिसर्च (टीसीआर)’ और मुख्य सलाहकार, एसीसीटीआई ने टीसीआर जर्नल से शुरुआत की यात्रा के बारे में जानकारी दी। इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा सम्मेलन की ‘सार पुस्तक’ का विमोचन भी किया गया। डॉ. वाई.सी. त्रिपाठी, प्रमुख, रसायन विज्ञान और जैव पूर्वेक्षण प्रभाग, एफआरआई द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ सत्र का समापन हुआ। ।

कार्यक्रम के पहले दिन में दो तकनीकी सत्र हुए जिसमें भारत, अमेरिका, जर्मनी, नीदरलैंड और पुर्तगाल के सम्मानित वक्ताओं द्वारा 10 आमंत्रित व्याख्यान और 4 लघु व्याख्यान दिए गए। प्रो. के.पी.आर. करथा एवं डॉ वी के वार्ष्णेय की संयुक्त अध्यक्षता में आयोजित प्रथम तकनिकी सत्र की शुरुआत में डॉ. विनीत कुमार ने एफआरआई, देहरादून में किए गए कार्बोहाइड्रेट अनुसंधान का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, डेविस, यूएसए के प्रो. शी चेन ने कीमोएंजाइमेटिक संश्लेषण और कार्बोहाइड्रेट और ग्लाइकोकोनजुगेट्स के अनुप्रयोगों पर चर्चा की। प्रो. बलराम मुखोपाध्याय, आईआईएसईआर, कोलकाता ने ‘कार्बोहाइड्रेट: द स्वीट वर्ल्ड’ पर व्याख्यान दिया जिसमें उन्होंने बैक्टीरिया मूल के ओलिगोसेकेरेड्स के संपूर्ण संस्लेषण पर चर्चा की। डॉ. सागरिका बिस्वास, सीएसआईआर-आईजीआईबी, नई दिल्ली ने प्लाज्मा के ग्लाइकोप्रोटेमिक प्रोफाइलिंग, रूमेटाइड आर्थराइटिस के सिनोवियल फ्लूइड सेल और उनके ग्लाइको आधारित मैकेनिस्टिक अध्ययन पर चर्चा की। प्रो. अनूप कुमार मिश्रा, बोस संस्थान, कोलकाता द्वारा कार्बोहाइड्रेट आधारित अणुओं की चिकित्सीय क्षमता का लेखा-जोखा दिया गया। डॉ. हरीश पार्शंथ, सीएसआईआर-सीएफटीआरआई, मैसूर ने आंत और मस्तिष्क के कार्यों को पाटने में पॉलीसैक्राइड की भूमिका पर चर्चा की। डॉ विनीत कुमार एवं डॉ अमित भट्ट किन संयुक्त अध्यक्षता में आयोजित तकनीकी सत्र 2 की शुरुआत मैक्स-प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर कोलाइड्स एंड इंटरफेसेस, जर्मनी के प्रो. डॉ. पीटर एच. सीबर्गर और ऑर्गेनिक केमिस्ट्री के बेइलस्टीन जर्नल के प्रधान संपादक के व्याख्यान के साथ हुई, जिसमें उन्होंने सिंथेटिक पॉलीसेकेराइड और ग्लाइकोपेप्टाइड्स की संरचना और कार्य को विस्तृत किया। प्रो. एम. कारमेन गैलन, ब्रिस्टल विश्वविद्यालय, यूके और एडिटर-इन चीफ, कार्बोहाइड्रेट रिसर्च ने जैविक अनुप्रयोगों के लिए नोवेल ग्लाइकेन-आधारित फ्लोरोसेंट नैनोप्रोब पर बात की। गुवाहाटी विश्वविद्यालय, गुवाहाटी के डॉ. देब्रत वैश्य ने सेल्यूलेस उत्पादन और शैवाल अपशिष्ट से बायोएथेनॉल के उत्पादन के लिए हॉट-स्प्रिंग से बैसिलस लाइसेनफॉर्मिस के कुशल उपयोग के बारे में बताया। डॉ. एस. राजशेखर रेड्डी, वीआईटी विश्वविद्यालय, वेल्लोर ने सतत भविष्य के लिए प्रकृति से प्रेरित चीनी आधारित आयनिक अणुओं की संभावनाओं पर चर्चा की। प्रो. रोलैंड जे. पीटर्स, यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी, यूट्रेक्ट, नीदरलैंड्स ने रोगजनक लक्ष्यों के खिलाफ बहुसंयोजी कार्बोहाइड्रेट के उपयोग के बारे में बात की। प्रो. मैनुअल ए. कोयम्बरा, एवेइरो विश्वविद्यालय, पुर्तगाल और प्रधान संपादक, कार्बोहाइड्रेट पॉलिमर ने टिकाऊ और अतिरिक्त मूल्य अनुप्रयोगों के लिए पॉलीसेकेराइड के स्रोत के रूप में खाद्य उद्योग के उपोत्पादों की क्षमता को दिखाया। भाकृअनुप-एनआईएनएफईटी कोलकाता के डॉ. कार्तिक के. सामंत द्वारा वस्त्रों में उपयोग के लिए भारतीय फ्लैक्स फाइबर के गुणों और मूल्यांकन का लेखा-जोखा दिया गया। प्रो. रिचर्ड ए. ग्रॉस, रेंससेलर पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट, यूएसए द्वारा दिए गए ‘पुटिंग सेल्युलोज फ्रॉम बैक्टीरिया एंड प्लांट्स टू वर्क’ पर प्रस्तुति के साथ सत्र का समापन हुआ।

 

 

 

 

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