रेंजर ज्वाला का मामला ‘डेंजर’! पुरोला से गंगोत्री पार्क तबादला
रेंजर ज्वाला प्रसाद की जगह गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क के संजय कुमार को तैनाती देने के आदेश
कई दिनों से वन विभाग के दो अफसरों और स्थानीय राजनेताओं के बीच तनातनी पर फिलहाल विराम
देहरादूनः राजाजी टाइगर रिजर्व के उप निदेशक गोविंद वन्यजीव विहार पुरोला में तैनात रेंजर ज्वाला प्रसाद और पूर्व उप निदेशक रहे कोमल सिंह और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के बीच कई दिनों से चल रही आपसी तनातनी पर अफसरशाही की ज्वालाएं पड़ चुकी हैं। रेंजर ज्वाला प्रसाद को गोविंद वन्यजीव विहार पुरोला से गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क तबादला कर दिया गया है।
आपको बता दें कि रेंजर ज्वाला प्रसाद और पूर्व उपनिदेशक कोमल सिंह समेत मोरी ब्लाक के जनप्रतिनिधियों के बीच विभागीय कामों में गोलमाल समेत कई हेराफेरी, भुगतान आदि को लेकर विवाद चल रहा था। रेंजर ज्वाला प्रसाद को तत्कालीन उप निदेशक कोमल सिंह ने मार्च 2021 में एक आदेश जारी करते हुए आफिस में अटैच कर दिया था। कुछ दिन बाद उप निदेशक कोमल सिंह को गोविंद वन्यजीव पशु विहार से हटा दिया गया। इसके बाद करीब छह माह तक अटैच रहने के बाद ज्वाला प्रसाद को फिर से नैटवाड़ की सुपिन रेंज में उसी पद पर तैनात कर दिया गया। अभी ज्वाला प्रसाद को तैनाती दिए दो माह ही हुए थे कि अब उन्हें गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क भेज दिया गया है। वन विभाग के अफसरों पर कुछ स्थानीय भाजपा नेताओं दबाव बनवाया।
कुछ दिन पहले उत्तराखंड पीसीसीएफ राजीव भरतरी को उनके तबादले के लिए संस्तुति भेजी गई। इसके बाद आज राजाजी पार्क के निदेशक व वन संरक्षक राजाजी टाइगर रिजर्व देहरादून ने आदेश जारी करते हुए ज्वाला प्रसाद की जगह गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क उत्तरकाशी के संजय कुमार को तैनात करने के आदेश दिए हैं। मोरी के स्थानीय जनप्रतिनिध व पूर्व विधायक प्रतिनिधि कृपाल सिंह राणा, जनक सिंह रावत समेत कई स्थानीय लोगों ने रेंजर ज्वाला प्रसाद पर कई गंभीर आरोप लगाए थे।
वहीं, रेंजर ज्वाला प्रसाद ने सभी आरोपों को निरोधार भी बताया था। लेकिन, कहीं न कहीं यह मामला स्थानीय भाजपा नेताओं की नाक का सवाल हो गया था। वहीं, पूर्व में उप निदेशक रहे कोमल सिंह का तबादला स्थानीय जनप्रतिनिधियों की बजाय बड़कोट और यमुनोत्री के एक वरिष्ठ भाजपा नेता समेत कुछ अन्य लोगों ने पुरोला से करवाया था। जबकि स्थानीय नेताओं ने उनकी कोई शिकायत नहीं की थी। वहीं, एक ओर जहां रेंजर ज्वाला प्रसाद इस आदेश से मायूस हैं।
वह बताते हैं कि कई ऐसे काम थे जिनकी जांच होती तो सच्चाई सामने आती कि कितना गोलमाल हुआ है। दूसरी ओर उप निदेशक रहे कोमल सिंह का कहना है कि वह पार्क को लेकर एक नई सोच के साथ आगे बढ़ना चाहते थे। उनके छह माह के कार्यकाल में गोविंद पशु विहार पार्क में कनेक्टिविटी के खुद के वाइरलेस सेवा शुरू कर दी थी। इस सीमांत इलाके में किसी भी संचार कंपनी के नेटवर्क सही नहीं पकड़ते। जबकि उनका विभागीय वायरलैस सिस्टम हर समय एक्टिव रहता था। साथ ही वह इस पार्क में हिम तेंदुओं पर रिसर्च कर रहे थे, लेकिन कुछ स्थानीय नहीं बल्कि बाहरी नेताओं और कुछ मीडिया के मठाधीशों ने उनका प्री-प्लानिंग से तबादला करवाया था। उन्होंने बताया कि भले ही मैं उत्तराखंड का मूल निवासी नहीं हूं, लेकिन 1995 से उत्तराखंड के चप्पे-चप्पे की स्थितियों को भलीभांति समझता हूं। राजाजी पार्क में तैनात रहते वक्त भी कई ऐसे काम किए थे जो अब कोई अफसर शायद ही कर पाए। कुल मिलाकर फिलहाल अफसरों के झगड़े पर वन विभाग की अफसरशाही ने ही विराम लगाया है।